UN सुरक्षा परिषद में भारत की स्थाई सदस्यता की राह में सबसे बड़ा रोड़ा चीन

Thursday, Nov 19, 2020 - 06:12 PM (IST)

नेशनल डेस्कः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बहुपक्षीय दुनिया के लिए भारत की तरफ से जोरदार समर्थन जाहिर किया है। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को वर्तमान दुनिया की जरूरत बताया है लेकिन यह भी मानना है कि यह संस्था दबाव में थी। उन्होंने कहा कि वैश्विक संस्थाओं की विश्वनीयता और प्रभावशीलता पर सवाल खड़े किए जा रहे हैं। इसका कारण ये है कि वक्त गुजरने के साथ इन संस्थाओं में कोई परिवर्तन नहीं  हुए। ये संस्थान 75 साल पहले की दुनिया के माइंडसेट और वास्तविकताओं को प्रदर्शित करते हैं।

पीएम मोदी का यह वक्तव्य भारत द्वारा आगामी जनवरी में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की अस्थाई सीट मिलने के ठीक पहले आया है। भारत ने साफ कर दिया है कि उसके दो साल के टर्म में 'सुधारवादी बहुपक्षीयवाद' प्राथमिकता पर होगा। साफ है कि भारत एकध्रुवीय या फिर एकपक्षीय दुनिया के सिद्धांतों के खिलाफ मजबूती से खड़ा होगा।

चीन की तरफ पीएम का निशाना
पीएम मोदी ने अपने भाषण में पाकिस्तान की तरफ इशारा करते हुए आतंकवाद को सबसे बड़ा खतरा बताया है। साथ ही पीएम मोदी चीन की तरफ भी इशारा किया जो लगातार पाकिस्तान को संरक्षण दे रहा है। गौरतलब है कि जब जून महीने भारत को अस्थाई सदस्य के तौर पर चुना गया था तब भी चीन ने गर्मजोशी नहीं दिखाई थी। चीन ने अपनी ओर से ठंडी प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि एक स्थायी सदस्य के तौर पर वह संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की शीर्ष संस्था के सभी नवनिर्वाचित सदस्यों के साथ सहयोग बढ़ाना चाहेगा।

भारत के अस्थाई सदस्य बनने पर चीन की ठंडी प्रतिक्रिया
भारत-चीन के बीच मौजूदा सैन्य तनाव के बीच संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के 192 सदस्यों में से 184 का समर्थन हासिल कर प्रचंड बहुमत के साथ संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की अस्थायी सदस्यता के लिये भारत की जीत पर प्रतिक्रिया पूछे जाने पर चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लीजियान ने भारत के नाम का उल्लेख नहीं किया था। झाओ ने कहा था कि संयुक्त राष्ट्र घोषणा-पत्र के मुताबिक सुरक्षा परिषद अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा बरकरार रखने के लिए एक महत्वपूर्ण तंत्र है।

चीन कई सालों से भारत की राह में बना रहा रोड़ा
चीन कई सालों से संयुक्त राष्ट्र की इस शक्तिशाली संस्था का सदस्य बनने की भारत की राह में सर्वसम्मति के नाम पर रोड़े अटकाता रहा है। चीन सुरक्षा परिषद में सुधारों के भी खिलाफ खड़ा है। चीन ने पूर्व में कहा था कि सुरक्षा परिषद में सुधारों को लेकर सदस्यों में काफी मतभेद है और सभी पक्षों के हितों व चिंताओं को जगह देने के लिये “व्यापक समाधान” तलाशा जाना चाहिए।

Yaspal

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