चीन की तर्ज पर भारत भी सीमा पर बनाएगा तेजी से सड़कों का जाल

Tuesday, Jul 16, 2019 - 06:15 PM (IST)

नई दिल्ली ः भारत और चीन के रिश्ते पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के समय हिंदी-चीनी भाई-भाई के नारे के साथ गहरे हुए थे। लेकिन 1962 में चीन ने विश्वासघात करते हुए भारत पर हमला कर दिया। इस युद्ध में देश को मिली शर्मनाक हार की टीस आज भी हर भारतीय के दिल में बनी हुई है। उस हार की प्रमुख वजहों में से एक थी सीमा पर रणनीतिक रूप से ढांचे का विकसित न होना था। लेकिन दशकों बाद भी हम सीमा पर रणनीतिक सड़कों को बिछाने में विफल रहे।

बुनियादी ढांचे को विकसित करने की जो योजनाएं दशकों पहले पूरी हो जानी थी वह भी कछुए की चाल से आगे बढ़ रही थीं। वैसे नई सरकार के आने के बाद से इसमें कुछ तेजी जरूर आई। इसी कड़ी में बॉर्डर रोड़ ऑर्गेनाइजेशन (बीआरओ) ने अगले पांच साल (2018-19 से 2022-23) की रणऩीतिक योजना का खाका पेश किया है। इसके तहत चीन से लगती भारतीय सीमा में हर मौसम में कनेक्टिविटी को बनाए रखने के लिए सड़क, रणनीतिक रेलवे लाइन समेत सुरंग बनाने की योजना है। इससे सीमा पर हमारी रक्षा तैयारियों को भी मजबूती मिलेगी। 

बीआरओ की संशोधित दीर्घगामी कार्य योजना के अनुसार, 5 सालों में 272 सड़कों यानी 14545 किलोमीटर सड़क का निर्माण और मरम्मत का कार्य किया जाना है। 272 सड़कों में से 61 सड़कें जिनकी लंबाई 3323.57 किलोमीटर रणनीतिक रूप से अहम हैं जिसमें से 2304.65 किलोमीटर सड़क का कार्य पूरा हो चुका है और बाकी बची सड़क का कार्य तेजी से जारी है। यह जानकारी रक्षा राज्य मंत्री श्रीपद नाइकिन ने कांग्रेसी नेता मोतीलाल वोहरा के पूछे एक सवाल के जवाब में दिया।

 

 दशकों तक चीन से सीमा पर मिल रही चुनौतियों को नजर अंदाज करती आई भारत सरकार अब भारतीय सीमा पर बुनियादी ढांचे को तेजी से विकसित करने में जुटी है। लेकिन चीन अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए, कई दशक पहले ही सीमा पर रणनीतिक सड़कों का जाल बिछाने में सफल हुआ है। इससे निपटने के लिए के लिए भारत ने भी सीमा पर अपनी रणनीतिक सड़कों का जाल बिछाने के लिए कमर कस ली है। भारत और चीन के बीच सीमा की लंबाई 3380 किलोमीटर है।

 

Ravi Pratap Singh

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