शर्मनाक: गलती छिपाने के लिए गलवान घाटी संघर्ष में मारे गए सैनिकों का अंतिम संस्कार नहीं होने दे रहा चीन

Tuesday, Jul 14, 2020 - 02:00 PM (IST)

नई दिल्ली: पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में चीनी और भारतीय सैनिकों के बीच हुई हिंसक झड़प में भारतीय सेना के कुल 20 सैनिक शहीद हो गए थे । इन जवानों ने अपनी शहादत देने से पहले चीन के 43 जवानों को मौत के घाट उतारा था। वहीं अब अमेरिका के एक खुफिया रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि चीन अपनी गलतियों को छिपाने के लिए गलवान घाटी में मारे गए अपने सैनिकों के शव को दफनाने नहीं दे रहा है। 

चीन को सता रहा है डर
दरअसल चीन को डर सता रहा है कि अगर मारे गए सैनिकों के कब्र की फोटो सोशल मीडिया अं‍तरराष्‍ट्रीय मीडिया में आ गईं तो उसकी छवि को गहरा धक्‍का लगेगा। भारत में जहां शहीद जवानों के शव का हीरो की तरह से स्‍वागत किया गया वहीं चीन अब गलवान घाटी में मारे गए अपने सैनिकों के परिवार वालों पर शवों को नहीं दफनाने का दबाव डाल रहा है। चीन इस वजह से अपने सैनिकों के मारे जाने को स्‍वीकार नहीं कर रहा है क्‍योंकि वह अपनी इस बड़ी गलती को छिपाना चाहता है। वहीं चीन सरकार के इस फैसले से मारे गए चीनी सैनिकों के परिवार वाले गुस्‍से में हैं। चीन सरकार अब इन परिवार को शांत कराने का प्रयास कर रही है। वहीं ये लोग वीबो और अन्‍य सोशल मीडिया प्‍लेटफार्म का इस्‍तेमाल करके अपना दुख साझा कर रहे हैं। 



चीन के खिलाफ मोदी सरकार की 'डिजिटल स्ट्राइक
वहीं लद्दाख में भारत-चीन के बीच जारी गतिरोध के बीच मोदी सरकार ने चाइनीज ऐप्स पर बड़ा एक्शन लिया है। सरकार ने टिक-टॉक समेत 59 चाइनीज ऐप पर बैन लगा दिया है। बता दें कि लद्दाख में भारत चीन के बीच हुई हिंसक झड़प के बाद खुफिया एजेंसी अलर्ट पर हैं। भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने सरकार से कहा था कि या तो चीन से जुड़े 52 मोबाइल एप्लिकेशन को ब्लॉक कर दिया जाए या लोगों को इनका इस्तेमाल ना करने की सलाह दी जाए, क्योंकि इनका इस्तेमाल करना सुरक्षित नहीं है। ये ऐप बड़े पैमाने पर डेटा को भारत से बाहर भेज रहे हैं। इनमें कुछ फेमस ऐप्स जैसे TikTok, Vigo Video, Bigo Live, We Chat, Shareit, UCNews, UC Browser जैसे ऐप शामिल हैं। केंद्र सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया था कि इंटेलिजेंस एजेंसियों की ओर से दिया गए प्रस्ताव का समर्थन नेशनल सिक्यॉरिटी काउंसिल सेक्रेटिएट ने भी किया, जिसका मानना है कि ये एप भारत की सुरक्षा के लिए खतरा बन सकते थे।
 



क्या है मामला
दरअसल गलवान की घटना से लेफ्टिनेंट जनरल लेवल की बातचीत के दौरान यह तय हुआ था कि गलवान में एलओसी के पास से चीन अपने सैनिकों को साझोसामान के साथ पीछे हटाएगा। चीन ने ऐसा करना शुरू भी कर दिया, लेकिन 15 जून की शाम आते आते ही भाारतीय सेना को चीन की चाल का अंदाजा होने लगा था। कर्नल संतोष बाबू ने इस पलटन से  लेफ्टिनेंट जनरल लेवल टॉक्स का हवाला देते हुए इस इलाक़े को ख़ाली करने के लिए कहा, जिसपर चीनियों ने उनपर हमला कर दिया। गलवान वैली में 15 जून की रात को तीन झड़पें हुई जोकि 6-7 घंटे नहीं चली। पहली झड़प में ज्यादातर हाथापाई हुई, दूसरी झड़प में चीनी सैनिकों ने कंटीले रॉड का भी इस्तेमाल किया और तीसरी झड़प में भारतीय सेना ने नियंत्रण रेखा पार जाकर अपने शहीद सीओ और जवानों का बदला लिया। झड़प में दोनों तरफ के सैनिक नीचे नदी में गिरे और चीन का एक कमांडिंग ऑफिसर सहित कुछ सैनिक भी भारतीय सेना के कब्जे में थे। जिन्हें गुरुवार शाम को छोड़ा गया, जब 10 भारतीय सैनिकों की भी सकुशल वापसी हुई।


सिर्फ 45 से 50 भारतीय जवान कर रहे थे 300 सैनिक से मुकाबला
चीन के लगभग 300 सैनिक से मुकाबला सिर्फ 45 से 50 भारतीय जवान कर रहे थे। भारतीय सैनिकों के पास हथियार तो थे, लेकिन वो उनका इस्तेमाल नहीं कर रहे थे। वहीं चीन के सैनिकों ने इस झगड़े की प्री-प्लानिंग के लिए कंटीले तार बंधे डंडे, लोहे की रॉड और बड़े बोल्डर पत्थर जमाकर रखे थे। ऐसा लग रहा था चीन पहले से भारतीय सैनिकों के हमले की फिराक में था। चीन के सैनिक जब इन सब सामान का इस्तेमाल कर भारतीय जवानों पर हमला कर रहे थे। तब तक हर इंफैंट्री बटालियन में तैनात भारतीय सेना की घातक प्लाटून वहां पहुंच गई। उन सैनिकों ने चीन के सोल्जर्स पर जमकर हमला किया, जिसमें चीन के सैनिकों की गर्दन और रीढ़ की हड्‌डी तक टूट गई। भारतीय जवानों की वीरता देखिए कि उन पर चीन के सैनिकों ने धोखे से हमला किया, इसके बावजूद भारतीय सैनिकों ने ऐसा जवाब दिया जिसे चीन के सैनिक कई सालों तक उसे भूल नहीं पाएंगे। सिर्फ यही नहीं, भारतीय सेना ने चीन की सेना के एक कर्नल को भी बंधक बना लिया था। 


1967 में नाथू ला में झड़प के बाद सबसे बड़ा टकराव
आपको बतां दे कि वर्ष 1967 में नाथू ला में झड़प के बाद दोनों सेनाओं के बीच यह सबसे बड़ा टकराव है। उस वक्त टकराव में भारत के 80 सैनिक शहीद हुए थे और 300 से ज्यादा चीनी सैन्यकर्मी मारे गए थे। इस क्षेत्र में दोनों तरफ नुकसान ऐसे वक्त हुआ है जब सरकार का ध्यान कोविड-19 संकट से निपटने पर लगा हुआ है । सेना के एक बयान में कहा गया, भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच गलवान क्षेत्र में जिस स्थान पर 15/16 जून की रात झड़प हुई, वहां से दोनों तरफ के सैनिक हट गए हैं।ज्ज् इसमें यह नहीं बताया गया है कि सैन्यकर्मी किस प्रकार हताहत हुए हैं और दोनों पक्षों के बीच किसी तरह के गोलाबारी का भी उल्लेख नहीं किया गया है।

Anil dev

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