आबादी बढ़े तो भी मुसीबत घटे तो भी मुसीबत

Friday, Jul 12, 2019 - 11:58 AM (IST)

नई दिल्ली: बढ़ती आबादी केवल भारत के लिए ही नहीं पूरे विश्व के लिए चिंता का विषय बन रही है। भारत के अलावा चीन, अमरीका, रूस, जापान, कोरिया व नाइजीरिया जैसे देश भी बढ़ती आबादी को समस्या मान रहे हैं। कुछ लोग इसके पीछे राजनीतिक सोच को जिम्मेदार मानते हैं तो कुछ लोगों का कहना है कि भौगोलिक परिस्थतियां भी इसके लिए जिम्मेदार हैं। चीन जैसे देश में एक बच्चे की नीति को अब विफल बताया जा रहा है। 



2027 तक भारत होगा नंबर वन
बढ़ती आबादी का यही आलम रहा तो भारत अगले कुछ बरसों में सबसे ज्यादा आबादी वाला देश बन जाएगा। भारत सबसे ज्यादा आबादी वाले देश चीन से आगे बढ़ जाएगा। इसकी वजह यह बताई जा रही है कि भारत में इस समय सबसे ज्यादा युवा हैं जो अगले कुछ वर्ष में बच्चे पैदा करने की स्थिति में पहुंच जाएंगे। भारत के अलावा सबसे तेजी से आबादी बढ़ाने वाला देश नाइजीरिया भी कुछ ऐसी ही स्थिति से गुजरने वाला है।  युनाइटेड नेशंस वल्र्ड पॉपुलेशन प्रोपेक्ट्स 2019 की रिपोर्ट के अनुसार कुछ ऐसी बनेगी स्थिति:-



2 अरब जनसंख्या बढ़ जाएगी विश्व की सन 2050 तक 
7.7 अरब है विश्व का आबादी वर्तमान समय में 
9.7 होगी दुनिया की जनसंख्या सन 2050 तक
27.3 करोड़ और बढ़ जाएगी भारत की 2050 तक आबादी

आबादी नियंत्रण की जरूरत क्यों?
1950 से 1980 के बीच की अवधि में पूरे विश्व में जनसंख्या की वृद्धि तथा गरीबी, पर्यावरण बिगडऩे तथा राजनैतिक स्थायित्व आदि पर बुरे प्रभावों को देखते हुए जनसंख्या वृद्धि की दर को कम करने के प्रयत्न शुरु किए गए थे। इससे पहले आबादी बढ़ाने का लक्ष्य तय होता था। 

चीन में एक बच्चा नीति: पास या फेल?
70 के दशक में अंधाधुंध आबादी बढऩे से परेशान चीन ने 1979 में नगरीय इलाकों में एक व ग्रामीण इलाकों में दो बच्चों की नीति बनाई थी। इसका उल्लंघन करने वालों का वेतन काटने और जेल भेजने का भी प्रावधान रखा गया। इसका परिणाम यह हुआ कि चीन बुजुर्गों का देश बनने लगा। 2013 की जनगणना के अनुसार चीन की 9.1 प्रतिशत आबादी 64 साल ज्यादा आयु की थी। 2027 तक इसके 15 प्रतिशत होने की आशंका है। इसी वजह से चीन ने 2016 में एक बच्चे की नीति को दो बच्चों की नीति में तब्दील कर दिया है। 
 

आबादी का घनत्व
सिंगापुर     440998
कोरिया     2988
ताईवान     2924
हॉलैंड     2205
इंग्लैंड     1077
भारत     1077

( ये आंकड़े दिखाते हैं कि भौगोलिक लिहाज से बड़ा देश होने के कारण बढ़ती आबादी भारत जैसे देश के लिए ज्यादा सिरदर्द नहीं है। कई विकसित देशों के पास जगह की कमी पड़ सकती है लेकिन भारत में अभी ये स्थिति कोसों दूर है। ) 

जनसंख्या पर राजनीति 
भारत में बढ़ती आबादी हमेशा से राजनीति का हिस्सा रही है। भाजपा हमेशा आरोप लगाती रही है कि उससे पहले की सरकारों ने इस पर वोट बैंक की राजनीति की है। इस बारे में केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह द्वारा वीरवार को दिए गए बयान पर भी राजनीति गर्मा गई है : 

दो बच्चों से ज्यादा तो मताधिकार हो खत्म: गिरिराज 
देश में हिंदू हो या मुसलमान, सब पर दो बच्चों का नियम होना चाहिए। जो इसे नहीं माने उसका वोटिंग का अधिकार समाप्त कर देना चाहिए। जनसंख्या नियंत्रण को इस्लामिक देश स्वीकार कर रहे हैं लेकिन भारत में इसे धर्म से जोड़ा जाता है। जहां-जहां हिंदूओं की जनसंख्या गिरती है वहां-वहां सामाजिक समरसता टूटती है। ओवैसी जैसे लोग सामाजिक समरसता के लिए सबसे बड़े बाधक हैं। 

दो से अधिक बच्चे होने पर वोटिंग अधिकार ही क्यों खत्म करना, फांसी दे देनी चाहिए ? इसके बाद अगला बच्चा होगी ही नहीं। 
-आजम खां, सपा सांसद (उप्र)

गिरिराज के बयान के पीछे उनकी ओछी मानसिकता है। ऐसे व्यक्ति को केंद्र में मंत्री नहीं होना चाहिेए।
- भोला यादव, राष्ट्रीय जनता दल विधायक (बिहार)

Anil dev

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