छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और राजस्थान में बवाल के बाद एससी/एसटी पर जारी आदेश रद्द

punjabkesari.in Tuesday, Apr 17, 2018 - 06:16 PM (IST)

नेशनल  डेस्कः सुप्रीम कोर्ट  द्वारा एससी/एसटी कानून में किए गए बदलाव के आदेश के बाद देशभर में इसका विरोध के बाबजूद बीजेपी शासित प्रदेशों में इसे लागू किया गया। अदालत द्वारा कानून में किए गए बदलाव को लेकर 2 अप्रैल को देशभर में विरोध प्रदर्शन हुआ। विरोध प्रदर्शन में हुई हिंसा के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साफ किया कि केंद्र सरकार दलितों की भलाई के लिए काम कर रही है और केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एससी/एसटी कानून पर पुर्नविचार याचिका दायर की है।"

भाजपा शासित तीन राज्यों ने दिए कानून का पालन करने के निर्देश
भाजपा शासित राज्य छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश और राजस्थान की सरकार ने अधिकारिक तौर पर पुलिस को सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करने का आदेश जारी कर दिया है। लेकिन छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा जारी आदेश के बाद विरोध हुआ तो तत्काल प्रभाव से रमन सिंह ने इसे स्थगित कर दिया। सिंह ने कहा कि छत्तीसगढ़ राज्य एससी और एसटी बाहुल्य राज्य है और सरकार इस वर्ग के हितों की रक्षा के लिए हर संभव कदम उठाएगी। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार एससी/एसटी मामले को लेकर बेहद संवेदनशील है और केंद्र सरकार द्वारा जिस प्रकार एससी/एसटी का विरोध किया गया है, ठीक उसी प्रकार हम भी इस फैसले का विरोध करते हैं।

मुख्यमंत्री रमन सिंह ने कहा कि एससी/एसटी एक्ट को लेकर सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी गाइडलाइन का पालन करने के लिए राज्य की पुलिस को पत्र लिखा गया था। एडीजी आरके विज ने एसपी रेलवे सहित प्रदेश के सभी पुलिस अधीक्षकों को निर्देश जारी कर सुभाष महाजन खिलाफ महाराष्ट्र राज्य व अन्य में SC/ST अधिनियम के दुरुपयोग पर रोक लगाने के लिए जारी दिशा-निर्देश का पालन करने का उल्लेख किया था।

कांग्रेस फैला रही है भ्रम
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एससी/एसटी पर हो रहे विरोध में कहा था कि आपके हक की चिंता करना भारत सरकार का दायित्व है। पीएम ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि कांग्रेस केवल भ्रम फैलाने का काम कर रही है और इसकी एक तस्वीर हम 2 अप्रैल को देख चुके हैं।

उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा एससी/एसटी एक्ट के तहत दर्ज मामले में तत्काल गिरफ्तारी पर रोक लगाने का निर्णय दिया था। जिसके बाद दलित संगठनों और नेताओं ने अदालत के फैसले का विरोध करते हुए 2 अप्रैल को भारत बंद का आह्वान किया था। वहीं केंद्र सरकार की ओर से इस निर्णय पर पुर्नविचार याचिका दायर की गई। कोर्ट ने पुर्नविचार याचिका पर टिप्पणी करते हुए कहा कि जो लोग विरोध कर रहे हैं, उन्होंने हमारा आदेश नहीं पढ़ा है और उच्चतम न्यायालय ने अपने फैसले पर रोक लगाने से इंकार कर दिया। 


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Yaspal

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