जम्मू कश्मीर में पाकिस्तान की एमबीबीएस सीटें बेचने पर हुर्रियत नेता, सात अन्य के खिलाफ आरोप तय

punjabkesari.in Tuesday, May 10, 2022 - 08:19 PM (IST)

श्रीनगर : श्रीनगर की एक विशेष अदालत ने सोमवार को हुर्रियत के एक प्रमुख नेता समेत आठ लोगों के खिलाफ जम्मू कश्मीर में पाकिस्तान की एमबीबीएस सीटों को आतंकी गतिविधियों के वित्तपोषण के लिए बेचने के संबंध में आरोप तय किए।

 

राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) अदालत, श्रीनगर के विशेष न्यायाधीश मनजीत सिंह मन्हास ने हुर्रियत नेता और 'साल्वेशन मूवमेंट' के अध्यक्ष मोहम्मद अकबर भट उर्फ च्जफर अकबर भटज् तथा कश्मीर के सात अन्य निवासियों के खिलाफ गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) कानून की विभिन्न धाराओं के तहत आरोप तय किए।

 

अधिकारियों ने कहा कि 27 जुलाई, 2020 को राज्य जांच एजेंसी (एसआईए) द्वारा गैर कानूनी काम करने वालों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था। पाकिस्तान के विश्वविद्यालयों और संस्थानों में एमबीबीएस और विभिन्न कॉलेजों में अन्य व्यावसायिक पाठ्यक्रमों में जम्मू कश्मीर के निवासियों के दाखिले की व्यवस्था के लिए कुछ शैक्षिक परामर्शदाताओं के साथ आरोपियों की मिलीभगत थी।

 

उन्होंने बताया कि अकबर भट के अलावा मामले में अन्य आरोपी फातिमा शाह, अल्ताफ अहमद भट (वर्तमान में पाकिस्तान में), काजी यासिर (फरार), मोहम्मद अब्दुल्ला शाह, सबजार अहमद शेख, मंजूर अहमद शाह (वर्तमान में पाकिस्तान में) और मोहम्मद इकबाल मीर हैं। मीर को जमानत पर रिहा कर दिया गया क्योंकि वह एक लाइलाज बीमारी से पीड़ित है।

 

एक अधिकारी ने कहा कि अदालत ने बचाव पक्ष और एसआईए की दलीलें सुनने के बाद आरोप तय किए। एसआईए का प्रतिनिधित्व एक विशेष लोक अभियोजक ने किया। मामले में पांच महीने तक 11 बार सुनवाई हुई।

 

उन्होंने कहा कि छात्रों के अभिभावकों से इस तरह के दाखिले के एवज में बड़ी राशि प्राप्त हुई थी और इसे जम्मू कश्मीर में आतंकवाद का समर्थन करने के लिए लगाया गया। अधिकारी ने कहा कि जांच के दौरान एसआईए के अधिकारियों ने अदालत से वारंट हासिल करने के बाद आरोपियों के घरों और अन्य जगहों पर तलाशी ली।

 

उन्होंने कहा कि तलाश के दौरान जब्त किए गए दस्तावेजों और अन्य सामग्री का विश्लेषण किया गया और यह पाया गया कि एमबीबीएस सहित पाकिस्तान में विभिन्न तकनीकी और व्यावसायिक पाठ्यक्रमों में दाखिला कराने के लिए आरोपी व्यक्तियों के खातों में रकम का भुगतान हुआ था।

 

अधिकारी ने कहा कि जांच के दौरान ठोस सबूत सामने आए कि प्राप्त धन को अवैध और आतंकवादी गतिविधियों के लिए आतंकवादियों, पथराव करने वालों और आतंकियों के सहयोगियों को दिया गया। उन्होंने कहा कि जांच के दौरान गवाहों के बयान दर्ज किए गए और यह सामने आया कि पाकिस्तान में एमबीबीएस और अन्य व्यावसायिक पाठ्यक्रमों में दाखिला उन छात्रों को दिया जाता था जो हुर्रियत सदस्यों की सिफारिशों पर मारे गए आतंकवादियों के करीबी परिवार के सदस्य या रिश्तेदार थे।

 

उन्होंने कहा कि हुर्रियत की सिफारिशों पर पाकिस्तान में अधिकारियों ने मारे गए आतंकवादी के परिजनों को पेशेवर कॉलेजों में दाखिला दिलाया। अधिकारी ने कहा कि जांच के दौरान आगे यह पता चला कि कि एक बड़ी साजिश के तहत आरोपी घाटी-आधारित विभिन्न परामर्शदाताओं के माध्यम से व्यावसायिक पाठ्यक्रमों, विशेष रूप से एमबीबीएस के इच्छुक छात्रों के आवेदन के लिए उनके माता-पिता को प्रोत्साहित करते थे।

 

अधिकारी ने कहा कि इसके अलावा, वे हुर्रियत नेताओं के सिफारिश पत्रों और दिल्ली में पाकिस्तान दूतावास से अन्य वैध यात्रा दस्तावेजों की भी व्यवस्था करते ताकि उन्हें दाखिले के लिए पाकिस्तान की यात्रा की सुविधा मिल सके।

 

अधिकारी ने कहा कि दाखिले के नाम पर जुटाए गए धन को प्रोत्साहन के रूप में मारे गए आतंकवादियों के परिवारों और अन्य सक्रिय आतंकवादियों के परिवारों के बीच भी वितरित किया गया ताकि उनके बीच भारत के खिलाफ भावनाएं भड़काई जा सके। केंद्र सरकार ने अधिसूचना जारी की है कि पाकिस्तान से प्राप्त व्यावसायिक डिग्री जैसे, एमबीबीएस और अन्य तकनीकी पाठ्यक्रमों को भारत में मान्यता नहीं दी जाएगी।


 


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Content Writer

Monika Jamwal

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