सहकारिता के माध्यम से ग्रामीण अर्थव्यवस्था बदलें: PM मोदी

Thursday, Sep 21, 2017 - 03:09 PM (IST)

नई दिल्लीः प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी नें आज कहा कि सहकारिता के माध्यम से ग्रामीण अर्थव्यवस्था में बड़ा बदलाव लाया जा सकता है जिससे सामान्य लोगों का जीवन सुरक्षित एवं खुशहाल हो सकता है। मोदी ने यहां कृषि मंत्रालय और सहकार भारती की ओर से आयोजित लक्ष्मणराव ईनामदार जन्म शताब्दी समारोह एवं सहकार सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए कहा कि गांव केहर क्षेत्र में कठिनाइयां हैं जिसका सहकारिता आन्दोलन से समाधान किया जा सकता है। इसके लिए नई पीढ़ी को नई ऊर्जा से प्रेरित करनें की जरुरत है।

लोगों की कमाई में होगी बढ़ौतरी
उन्होंने कहा कि सहकारिता देश के स्वभाव के अनुकूल है और इसका पनपना स्वाभाविक है। इसके लिए मिलकर पहल करने की जरुरत है। उन्होंने कहा कि किसान वस्तुओं को खुदरा में खरीदता है और थोक में बेचता है। जबकि इसके ठीक उलट करने की आवश्यकता है। अगर किसान थोक में खरीदे और खुदरा में बेचे तभी वह बिचौलियों से बच पाएंगे। प्रधानमंत्री ने कहा कि सहकारिता के माध्यम से डेयरी क्षेत्र में श्वेतक्रांति आई है और यहां किसान थोक में खरीदता और बेचता है जिससे उसकी आमदनी बढ़ी है। मोदी ने कहा कि नीम लेपित यूरिया, मधुमक्खी पालन और सीवीड के उत्पादन में सहकारिता के माध्यम से क्रांति लाई जा सकती है। उन्होंने कहा कि नीम लेपित यूरिया बनाने के लिए नीम की फली की जरुरत होती है जिसे सहकारी समितियों के माध्यम से ग्रामीण महिलायें आसानी से इकट्ठा कर सकती है और अपनी आय बढ़ा सकती है। इससे ग्रामीण क्षेत्र में लोगों की कमाई सालाना डेढ से दो लाख रुपए तक बढ़ सकती है । इसके साथ ही मधु उत्पादों का प्रसंस्करण किया जा सकता है जिससे आय में भारी वृद्धि हो सकती है। मधुमक्खी के परागण के कारण फसलों के उत्पादन में भी वृद्धि होती है।

मछुआरों को दिए ये सुझाव
प्रधानमंत्री ने कहा कि समुद्री तट के पास रहने वाले मछुआरा परिवार को खराब मौसम तथा कुछ अन्य कारणों से साल में पांच माह मछली पकड़ने का काम बंद करना पड़ता है। इस दौरान वे समुद्र में सीवीड (समुद्री घास) की पैदावार ले सकते हैं। फार्मा क्षेत्र में इसकी भारी मांग है और यह 45 दिनों में तैयार हो जाती है। सीवीड से यदि रस निकाल लिया जाए और इसे खेतों में छिड़का जाए तो इससे जमीन की उर्वरा शक्ति बढ़ जाती है और फसलों का भरपूर उत्पादन होता है। मोदी ने कहा कि दूध और चीनी उद्योग के क्षेत्र में सहकारिता है लेकिन यहं प्रतिस्पर्धा बढी है। उन्होंने कहा कि सहकारिता आन्दोलन जब ग्रामीण क्षेत्र से शहरी क्षेत्र में आया और बैंकिग में कामकाज शुरु किया तो उसे शंका की नजर से देखा जाने लगा तथा उसके तानेबाने बिखरने लगे। उन्होंने कहा कि ग्रामीण सहकारिता में अब भी पवित्रता का एहसास होता है।
          

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