चंद्रयान-2: हमेशा अंधेरे में रहने वाले चांद के हिस्से की तस्वीर भेजेगा ऑर्बिटर

Monday, Sep 16, 2019 - 09:16 AM (IST)

नई दिल्ली/बेंगलुरु: चांद की सतह पर मौजूद लैंडर विक्रम से अभी तक संपर्क नहीं हो पाया है लेकिन चंद्रयान-2 का ऑर्बिटर अपने मिशन में जुटा हुआ है। खास बात यह है कि भारत के दूसरे मून मिशन का यह ऑर्बिटर चांद के हमेशा अंधेरे में रहने वाले यानि उन क्षेत्रों की तस्वीरें भेजेगा, जहां सूरज की रोशनी कभी नहीं पड़ती है। यह पूरी दुनिया के लिए नई जानकारी होगी। वैज्ञानिकों का कहना है कि एक दशक पहले भेजे गए भारत के पहले चंद्रयान से इसका प्रदर्शन बेहतर हो रहा है।

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के पूर्व चेयरमैन ए.एस. किरण कुमार ने कहा कि हम चंद्रयान-1 से कहीं ज्यादा बेहतर परिणामों की उम्मीद कर रहे हैं क्योंकि हम माइक्रोवेव ड्यूल-फ्रीक्वैंसी सैंसर्स की मदद से चांद के हमेशा अंधेरे में डूबे रहने वाले इलाके की भी मैपिंग कर सकेंगे। उन्होंने कहा कि ऑर्बिटर में बड़े स्पैक्ट्रल रेंज के काफी दमदार कैमरे लगे हैं।

100 कि.मी. दूर से चांद को निहार रहा अपना ऑर्बिटर
7 सितंबर को लैंडर चांद की सतह को छूने से ठीक पहले इसरो के राडार से गायब हो गया और अब तक उससे संपर्क स्थापित नहीं हो सका है। हालांकि ऑर्बिटर इस समय चांद की सतह से करीब 100 कि.मी. के ऊपर से परिक्रमा कर रहा है। इसमें एक हाई-रैजोलूशन कैमरा है जो चांद की सतह पर 0.3 मीटर तक की तस्वीर ले सकता है। लैंडर ने चांद पर हार्ड लैंडिंग की थी और अब भी उससे कनैक्शन स्थापित करने की कोशिशें जारी हैं। रोवर का जीवनकाल एक चंद्र दिवस यानी धरती के 14 दिन के बराबर है।

विकास यात्रा, सतह संरचना की देगा जानकारी
इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन ने बताया कि ऑर्बिटर चांद की विकास यात्रा, सतह की संरचना, खनिज और पानी की उपलब्धता आदि के बारे में हमारी समझ को और बेहतर बनाने में मदद करेगा। यह करीब 7 सालों तक ऑप्रेशनल रहेगा और इस दौरान चांद के रहस्यों से पर्दा उठाने में मदद करेगा।


 

Seema Sharma

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