Chandrayaan 3: प्रज्ञान रोवर ने चांद पर फिर किया कमाल, ढूंढ निकाली अद्भुत चीज
punjabkesari.in Monday, Sep 23, 2024 - 09:09 PM (IST)
नेशनल डेस्क : भारत के चंद्रयान-3 मिशन ने 2023 में चंद्रमा पर अपनी सफल यात्रा के बाद भी नई खोजें जारी रखी हैं। प्रज्ञान रोवर द्वारा चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र से प्राप्त डेटा ने एक प्राचीन गड्ढे की खोज की है। आइए इस महत्वपूर्ण खोज के बारे में विस्तार से जानते हैं।
प्राचीन गड्ढे की खोज
प्रज्ञान रोवर ने चंद्रमा के अपने लैंडिंग स्थल के पास 160 किलोमीटर चौड़े एक प्राचीन दबे हुए गड्ढे की खोज की है। यह गड्ढा दक्षिणी ध्रुव-ऐटकेन बेसिन के निर्माण से पहले बना था, जिससे यह चंद्रमा की सबसे पुरानी भूवैज्ञानिक संरचनाओं में से एक माना जा रहा है।
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भूवैज्ञानिक इतिहास के सुराग
प्रज्ञान रोवर ने ऊंचे भूभाग को पार करते समय यह गड्ढा खोजा, जो दक्षिणी ध्रुव-ऐटकेन बेसिन से लगभग 350 किलोमीटर दूर है। इस गड्ढे की संरचना की जानकारी प्रज्ञान रोवर के नेविगेशन और ऑप्टिकल हाई-रिज़ॉल्यूशन कैमरों द्वारा ली गई छवियों से प्राप्त हुई है। यह जानकारी चंद्रमा के भूवैज्ञानिक इतिहास के अध्ययन में सहायक है।
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प्राचीन रेजोलिथ का अध्ययन
गड्ढे की खोज वैज्ञानिकों को चंद्रमा पर गहराई में दबी हुई सामग्री का अध्ययन करने का एक दुर्लभ अवसर प्रदान करती है। यह सामग्री चंद्रमा पर शुरुआती प्रभावों के समय की है, जिससे वैज्ञानिकों को चंद्र निर्माण और विकास को समझने में मदद मिलेगी।
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महत्वपूर्ण सामग्री का योगदान
दक्षिणी ध्रुव-ऐटकेन बेसिन ने लगभग 1,400 मीटर मलबे का योगदान दिया है। इसके अलावा, छोटे गड्ढों और बेसिनों ने परिदृश्य में सैकड़ों मीटर सामग्री डाली है। यह प्राचीन रेजोलिथ, जो चंद्रमा की सतह पर धूल और चट्टान की परत है, चंद्रमा के विकास के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करती है।
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वैज्ञानिक उत्साह
प्रज्ञान रोवर के निष्कर्षों ने दुनिया भर के वैज्ञानिकों को उत्साहित किया है। इस प्राचीन और भारी गड्ढों वाले क्षेत्र से प्राप्त जानकारी चंद्रमा के प्रारंभिक इतिहास और इसके अनूठे इलाके के निर्माण के बारे में हमारी समझ को नया आकार दे सकती है। चंद्र अन्वेषण के इस महत्वपूर्ण पड़ाव से हमें चंद्रमा के भूवैज्ञानिक इतिहास की गहरी जानकारी प्राप्त होगी।