चंद्रयान-2 ने चौथी कक्षा में किया सफलतापूर्वक प्रवेश, इतिहास बनाने से महज 8 कदम दूर
Friday, Aug 30, 2019 - 09:16 PM (IST)
नेशनल डेस्कः भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने चंद्रमा के पास पहुँचने के बाद से चंद्रयान की कक्षा में शुक्रवार को सफलतापूर्वक चौथी बार बदलाव किया है। इसरो ने आज बताया कि शाम 6.18 बजे चंद्रयान की कक्षा में बदलाव करने का काम शुरू किया गया और 1155 सेकेंड में इसे सफलतापूर्वक पूरा कर लिया गया है। अब चंद्रयान 124 किलोमीटर गुणा 164 किलोमीटर की कक्षा में चंद्रमा का चक्कर लगा रहा है। रविवार को शाम छह बजे से सात बजे के बीच इसकी कक्षा एक बार फिर बदली जायेगी।
इससे पहले 28 अगस्त को किये तीसरे बदलाव के बाद चंद्रयान 179 किलोमीटर गुणा 1412 किलोमीटर की कक्षा में चक्कर लगा रहा था। चाँद पर भारत के दूसरे मिशन चंद्रयान-2 का प्रक्षेपण आँध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से 22 जुलाई को किया गया था। चंद्रयान ने 14 अगस्त तक पृथ्वी की कक्षा में रहने के बाद चंद्रमा की यात्रा शुरू की और 20 अगस्त को उसकी कक्षा में पहुँच गया। चंद्रयान के तीन हिस्से हैं। उनमें ऑर्बिटर चंद्रमा का चक्कर लगाता रहेगा जबकि लैंडर और उससे जुड़ा रोवर सात सितंबर को अलग होकर चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरेगा।
लैंडर को सात सितंबर को तड़के 1.55 बजे चंद्रमा की सतह पर उतारने का लक्ष्य रखा गया है। इसके बाद रोवर भी लैंडर से अलग हो जायेगा और 500 मीटर के दायरे में चंद्रमा की सतह पर घूमकर कई प्रयोग करेगा। तिरंगे को लेकर जा रहा चंद्रचान-2 चंद्रमा के ‘दक्षिणी ध्रुव' पर उतरने वाला दुनिया का पहला मिशन होगा। इस मिशन में चंद्रयान-2 के साथ कुल 13 स्वदेशी पे-लोड यान वैज्ञानिक उपकरण भेजे गये हैं। इनमें तरह-तरह के कैमरा, स्पेक्ट्रोमीटर, रडार, प्रोब और सिस्मोमीटर शामिल हैं।
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा का एक पैसिव पेलोड भी इस मिशन का हिस्सा है जिसका उद्देश्य पृथ्वी और चंद्रमा के बीच की सटीक दूरी का पता लगाना है। इस अभियान पर लगभग 1,000 करोड़ रुपये खर्च हुये हैं। यह अन्य देशों के द्वारा चलाये गये अभियान की तुलना में काफी कम है। यदि यह अभियान सफल रहता है तो भारत, रूस, अमेरिका और चीन के बाद चाँद की सतह पर रोवर को उतारने वाला चौथा देश बना जायेगा। इस वर्ष की शुरुआत में इजरायल का चंद्रमा पर उतरने का प्रयास विफल रहा था।