Chandrayaan 2: आज रात जागें और देखें देश की उपलब्धि, ये 7 चरण होंगे खास
Friday, Sep 06, 2019 - 12:31 PM (IST)
नेशनल डेस्कः आज आधी रात के बाद जैसे ही कैलेंडर की तारीख बदलकर 7 सितंबर होगी, अगले चंद घंटों में देश एक बड़ी उपलब्धि हांसिल कर लेगा। अगर सबकुछ ठीक रहता है तो तड़के तीन बजे से पहले चांद पर तिरंगा फहरा रहा होगा। चंद्रयान दो का लैंडर विक्रम रात को डेढ़ बजे से ढाई बजे के बीच चांद पर लैंड करेगा। इसके साथ ही चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने वाला भारत दुनिया का पहला देश हो जाएगा। अमरीका, रूस और चीन के बाद भारत ही ऐसा देश होगा जो चांद पर उतरने में सफल रहा।
वैकल्पिक साइट पर जाना पड़ा तो क्या होगा
चांद पर लैंडिंग के लिए दो जगह चिन्हित की गई हैं। क्रेटर्स मैजिनस-सी और सिमपेलियस-एन के बीच लैंडिंग प्रथामिकता होगा, अगर यह साइट सुरक्षित नहीं लगती तो विक्रम 10 मीटर की ऊंचाई पर ही दूसरी साइट की तरफ जाएगा। वहां पहुंचने में विक्रम को एक मिनट से कुछ ज्यादा समय लगेगा। इस साइट पर उतरने में आधा मिनट का समय और लगेगा।
चींटी से भी धीमे चलेगा प्रज्ञान
चांद की सतह पर छह पहियों वाला रोवोर प्रज्ञान 1 सेंटीमीटर प्रति सैकेंड की गति से चलेगा। यह चाल चींटी से भी धीमी है। काली चींटी की औसत चाल 8 सेंटीमीटर प्रति सैकेंड मानी जाती है। यह चांद की सतह पर कुल 500 मीटर तक चलेगा। इसमें लगा 50 वाट का सोलर बेटरी सिस्टम इसकी सभी गतिविधियों के लिए ऊर्जा देगा। यह अपनी सारी सूचनाएं लैंडर विक्रम तक भेजेगा। यह चांद की सतह पर उसकी खनिज संरचना का अध्ययन करेगा। यह चांद के एक दिन जो पृथ्वी के 14 दिन के बराबर है, सतह पर सक्रिय रहेगा।
जैसे उतरती है उड़न तस्तरी
अब काम वास्तव में मुश्किल होने जा रहा है। चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंङ्क्षडग का काम कुछ ऐसा है जैसे विज्ञान गल्प में उडऩ तश्तरी आती है और ऊपर चक्कर लगाने लगती है और इसके बाद धीरे-धीरे नीचे उतरती है। इसरो जो करने जा रहा है, यह लगभग वैसा ही घटनाक्रम है, जिसमें व्यवहारिक रूप से जमीन से कोई ‘रियल टाइम कंट्रोल’ नहीं होगा। सिर्फ लैंडर पर लगे कैमरे ही सही जगह को देखेंगे और जब एक बार इसका मिलान हो जाएगा तो पांच रॉकेट इंजन हैं, जिन्हें सटीक तरीके से नियंत्रित कर पहले गति कम की जाएगी और फिर इसे वस्तुत: तैरते हुए उस बिंदु तक ले जाया जाएगा। इसके बाद कुछ इस तरह पार्श्व आवाजाही कराई जाएगी कि यह ठीक उस जगह पहुंचे, फिर धीरे धीरे इसे उतरने वाली जगह पर निर्देशित किया जाएगा।
जी माधवन नायर, इसरो के पूर्व अध्यक्ष
15 मिनट बाद पहली तस्वीर
लैंडिग के 15 मिनट बाद विक्रम सतह की पहली तस्वीर भेजेगा। डिजाइन लैंडर विक्रम को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि यह लैंडिग के समय 2 मीटर प्रति सैकेंड यानी 7.2 किमी प्रतिघंटा की गति के आघात को सह सके। इसमें लगा 650 वाट का सोलर सिस्टम इसे सभी गतिविधियों के लिए ऊर्जा देगा।
सात चरण होंगे खास
- तड़के एक बजे से दो बजे के बीच चांद की 35 किमी गुणा 101 किमी की कक्षा में परिक्रमा कर रहे लैंडर विक्रम को सतह पर उतारने के लिए और गति कम करने के लिए इंजन चालू किए जाएंगे। विक्रम की गति तब 6 हजार किमी प्रति घंटे से ज्यादा होगी।
- अगले दस मिनट तक यह तेजी से चांद की सतह की ओर आएगा और चांद से इसकी ऊंचाई करीब साढ़े सात किलोमीटर रह जाएगी। तब भी विक्रम की गति प्रति घंटे 500 किमी से ज्यादा होगी।
- 11वें मिनट में यहढाई किलोमीटर तक और नीचे आ जाएगा। गति अब भी 300 किलोमीटर प्रति घंटा से ज्यादा होगी।
- 13वें मिनट में यह चांद की सतह से सिर्फ 400 मीटर की ऊंचाई पर होगा। यहां आकर यह रुक जाएगा।
- सतह से 400 मीटर की ऊंचाई पर गति शून्य के करीब होगी। यह करीब दस सैकेंड रुक कर लैंडिंग साइट की तस्वीर लेगा और चंद्रयान-2 का कंप्यूटर साइट के सुरक्षित होने की जांच करेगा।
- 14वें मिनट में यह चांद की सतह से सिर्फ 100 किलोमीटर की ऊंचाई पर होगा। यहां यह 25 सैकेंड तक रुकेगा और यहीं यान का कंप्यूटर निर्देशित करेगा कि यह साइट लैंडिंग के लिए सुरक्षित है या वैकल्पिक साइट पर चलना है।
- 15वें मिनट में यह चांद की सतह से सिर्फ 10 मीटर की ऊंचाई पर होगा और इसके पांचों इंजन चालू होंगे। यहां से सतह को छूने में 13 सैकेंड का समय लगेगा और जैसे ही चारों पैर सतह को छू लेंगे, इंजन बंद हो जाएंगे।