जहां नहीं पहुंच पाया दुनिया का कोई देश, पहली बार चांद के उस हिस्से पर उतरेगा भारत का चंद्रयान-2

Saturday, Jul 13, 2019 - 07:07 PM (IST)

श्रीहरिकोटाः भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने चंद्रमा पर भारत के दूसरे मिशन चंद्रयान-2 के प्रक्षेपण का रिहर्सल शुक्रवार को पूरा कर लिया। चंद्रयान का प्रक्षेपण 15 जुलाई को तड़के दो बजकर 51 मिनट पर आंंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से किया जायेगा। इसके छह सितंबर को चंद्रमा पर पहुंचने की उम्मीद है। इस मिशन के लिए जीएसएलवी-एमके3 एम1 प्रक्षेपणयान का इस्तेमाल किया जायेगा। इस जगह पर इससे पहले किसी भी देश का कोई यान नहीं पहुंचा है। विक्रम लैंडर के अलग हो जाने के बाद, यह एक ऐसे क्षेत्र की ओर बढ़ेगा जिसके बारे में अब तक बहुत कम खोजबीन हुई है।



इसरो ने बताया कि मिशन के लिए रिहर्सल आज पूरा हो गया है। इस मिशन के मुख्य उद्देश्यों में चंद्रमा पर पानी की मात्रा का अनुमान लगाना, उसके जमीन, उसमें मौजूद खनिजों एवं रसायनों तथा उनके वितरण का अध्ययन करना और चंद्रमा के बाहरी वातावरण की ताप-भौतिकी गुणों का विश्लेषण है। उल्लेखनीय है चंद्रमा पर भारत के पहले मिशन चंद्रयान-1 ने वहाँ पानी की मौजूदगी की पुष्टि की थी। इस मिशन में चंद्रयान के साथ कुल 13 स्वदेशी पे-लोड यान वैज्ञानिक उपकरण भेजे जा रहे हैं।


इनमें तरह-तरह के कैमरा, स्पेक्ट्रोमीटर, रडार, प्रोब और सिस्मोमीटर शामिल हैं। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा का एक पैसिव पेलोड भी इस मिशन का हिस्सा है जिसका उद्देश्य पृथ्वी और चंद्रमा की दूरी सटीक दूरी पता लगाना है। यह मिशन इस मायने में खास है कि चंद्रयान चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास उतरेगा और सॉफ्ट लैंडिंग करेगा। चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर अब तक दुनिया का कोई मिशन नहीं उतरा है। चंद्रयान के तीन हिस्से हैं।


ऑर्बिटर चंद्रमा की सतह से 100 किलोमीटर की ऊंचाई वाली कक्षा में चक्कर लगायेगा। लैंडर ऑर्बिटर से अलग हो चंद्रमा की सतह पर उतरेगा। इसे विक्रम नाम दिया गया है। यह दो मिनट प्रति सेकेंड की गति से चंद्रमा की जमीन पर उतरेगा। प्रज्ञान नाम का रोवर लैंडर से अलग होकर 50 मीटर की दूरी तक चंद्रमा की सतह पर घूमकर तस्वीरें लेगा।

Yaspal

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