Chandrayaan-2: चांद पर उल्टा पड़ा लैंडर विक्रम, जानिए अब आगे क्या?
Monday, Sep 09, 2019 - 10:48 AM (IST)
बेंगलुरुः चंद्रयान-2 ऑर्बिटर ने चांद की सतह पर उस स्थान का पता लगा लिया है जहां उसके लैंडर विक्रम ने लैंड किया है। लैंडर विक्रम के पता चलने के बाद इसरो के वैज्ञानिकों में अब नई उम्मीद जागी है। भले ही विक्रम लैंडर अपने तय स्थान से करीब 500 मीटर दूर चांद की जमीन पर गिरा पड़ा है लेकिन अगर उससे संपर्क स्थापित हो जाए तो वह वापस अपने पैरों पर खड़ा हो सकता है। इसरो के एक अन्य शीर्ष अधिकारी ने कहा कि चंद्रमा की सतह पर विक्रम की ‘हार्ड लैंडिंग' ने दोबारा संपर्क कायम करने को भले ही मुश्किल बना दिया है क्योंकि यह सहजता से और अपने चार पैरों के सहारे नहीं उतरा होगा।
उन्होंने कहा कि चंद्रमा की सतह से टकराने के चलते लगे झटकों के चलते लैंडर को नुकसान पहुंचा होगा। अधिकारी के मुकाबिर ऐसा लगता है कि लैंडर चांद की सतह से तेजी से टकराया है और इस कारण वह पलट गया है। अब उसकी स्थिति ऊपर की ओर बताई जा रही है। अब इसरो के वैज्ञानिक यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि लैंडर को कितना नुकसान पहुंचा है क्योंकि लैंडर विक्रम के अंदर ही रोवर प्रज्ञान है, जिसे सॉफ्ट-लैंडिंग के बाद चांद की सतह पर उतरना था। दूसरी तरफ ऑर्बिटर अच्छे से काम कर रहा है यानि उसके जरिए लैंडर की तस्वीरें आएंगी जिससे विक्रम की सही स्थिति का पता चल सकेगा।
अगले 12 दिन क्यों अहम?
चंद्रयान-2 का ऑर्बिटर ऑर्बिटर मिशन का मुख्य हिस्सा था क्योंकि इसे एक साल से ज्यादा वक्त तक काम करना है। रक्षा अध्ययन एवं विश्लेषण संस्थान के वरिष्ठ शोधार्थी लेले ने कहा कि ऑर्बिटर के सही ढंग से काम करने से मिशन के 90 से 95 फीसदी लक्ष्य हासिल कर लिए जाएंगे। लेले ने कहा कि ऑर्बिटर के काम करने की नियोजित अवधि एक साल से अधिक की है इसलिए वह डेटा भेजता रहेगा जबिक रोवर केवल एक चंद्रमा दिवस के लिए प्रयोग करने वाला था।
एक चंद्रमा दिवस पृथ्वी के 14 दिनों के बराबर होता है। साथ ही उन्होंने कहा कि छवियों एवं संबंधित डेटा के साथ लैंडर की स्थिति का पता लगाना आसान होगा। इसरो के पूर्व वैज्ञानिक एस नांबी नारायणन ने कहा कि अगली चुनौती लैंडर के साथ संपर्क स्थापित करने की है। दो दिन बीत चुके हैं और अगले 12 दिनों में लैंडर की स्थिति से लेकर उससे जुड़े सारे सवालों के जवाब मिल जाएंगे, अगर तो इन 12 दिनों में लैंडर से संपर्क हो गया और उसने कमांड रिसीव कर ली तो इस मिशन से जुड़े वे सारे प्रयोग सफल हो पाएंगे।
उल्लेखनीय है कि इसरो ने 22 जुलाई को चंद्रयान-2 का सफल प्रक्षेपण किया। चंद्रयान-2 के तीन हिस्से थे, आर्बिटर, लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान। लैंडर विक्रम रोवर प्रज्ञान के साथ सात सितंबर को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर ‘सॉफ्ट लैंडिंग' करने वाला था लेकिन अंतिम समय में इसरो का उससे संपर्क टूट गया।