चंदेरी: साड़ियों से सजे किले और प्रकृति की गोद में पर्यटन

punjabkesari.in Monday, Dec 29, 2025 - 04:07 PM (IST)

नई दिल्ली/टीम डिजिटल।  मध्यप्रदेश के अशोकनगर जिले में स्थित चंदेरी वह स्थान है जहां प्राचीन इतिहास, शाही वास्तुकला, पारंपरिक हथकरघा कला और विंध्याचल की प्राकृतिक सुंदरता एक साथ मिलकर अद्भुत अनुभव रचती है। रेशमी साड़ियों की महीन बुनावट से लेकर किले की ऊँची प्राचीरों तक, चंदेरी हर कदम पर अपनी सांस्कृतिक संपन्नता का परिचय देता है। तेजी से विकसित होते पर्यटन और ग्लोम्पिंग जैसे नए आकर्षणों ने इस शांत नगर को राष्ट्रीय–अंतरराष्ट्रीय यात्रियों के लिए एक अनोखा और आकर्षक गंतव्य बना दिया है। 

चंदेरी की खूबसूरती और बढ़ती फिल्म शूटिंग  

मध्य प्रदेश के चंदेरी में फिल्मों की शूटिंग खूबसूरत ऐतिहासिक किलों, प्राचीन बस्तियों और शांत वातावरण के कारण लोकप्रिय है। यहां कई बॉलीवुड फिल्में फिल्माई गई हैं, जिससे पर्यटन को बढ़ावा मिला है। प्राकृतिक सौंदर्य और सांस्कृतिक विरासत निर्देशक तथा निर्माता दोनों को आकर्षित करती है।  स्त्री (2018), सुई धागा (2018), स्त्री 2 (2024) और जनहित में जारी (2022)।  इन फिल्मों के माध्यम से चंदेरी की पहचान राष्ट्रीय स्तर पर और मजबूत हुई है।   

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चंदेरी हैंडलूम : धागों में बुनी जाती परंपरा

चंदेरी का नाम आते ही सबसे पहले याद आती है चंदेरी साड़ी—जो अपनी हल्की बनावट, महीन ज़री, प्राकृतिक रंगों और कारीगरी के लिए विश्वप्रसिद्ध है। स्थानीय कारीगर प्राचीन हथकरघा तकनीक से इन साड़ियों को बुनते हैं, जिनमें मुलायम कपास, रेशम और ज़री का सुंदर मेल होता है।

आज चंदेरी के हैंडलूम क्लस्टर न सिर्फ़ ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती दे रहे हैं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय फैशन में भी अपनी विशेष पहचान बना रहे हैं। कई डिजाइनर यहाँ की कला को वैश्विक मंच पर पहुंचा चुके हैं।

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सांस्कृतिक जीवन और लोककला की महक

चंदेरी में आयोजित कार्यक्रम और लोक–संगीत यात्रियों को बुंदेलखंड की आत्मा से परिचित कराते हैं। कबीर गायन, फोक–फ्यूज़न, सूफ़ी संगीत और स्थानीय नृत्य शैलियाँ यहाँ के मेलों और पर्यटन आयोजनों की पहचान बन चुकी हैं। रंग–बिरंगे बाजार, पारंपरिक व्यंजन, और गाँवों का सरल जीवन—यह सब चंदेरी को एक जीवंत सांस्कृतिक अनुभव बनाते हैं।

संस्कृति–सौंदर्य–पर्यटन का अनूठा संगम

मध्य प्रदेश के अशोकनगर जिले में स्थित चंदेरी वह जगह है जहां इतिहास की भव्यता, प्राकृतिक सौंदर्य, पारंपरिक हथकरघा और आधुनिक पर्यटन—चारों मिलकर एक अनोखा अनुभव रचते हैं। विंध्याचल पर्वतमाला की सुरम्य पहाड़ियों और हजारों वर्षों पुरानी सांस्कृतिक धरोहरों से घिरा यह कस्बा आज मध्यप्रदेश टूरिज्म का एक उभरता हुआ गंतव्य बन चुका है। 

इतिहास की परतें: पत्थरों में बसती अनकही कहानियां

चंदेरी का इतिहास 11वीं शताब्दी से भी प्राचीन बताया जाता है। कुफ़री दरवाज़ा, किशोर सागर तालाब, बादल महल, जौहरी महल, काकनमठ मंदिर और विशाल चंदेरी किला यहां की ऐतिहासिक पहचान को जीवंत बनाए रखते हैं। किले से दिखने वाला विहंगम दृश्य पर्यटकों को मध्यकालीन स्थापत्य कला की अद्भुत झलक देता है। बुंदेलखंड की वीरता और इस्लामी–हिंदु स्थापत्य का मेल चंदेरी को एक अनोखे सांस्कृतिक मुकाम पर खड़ा करता है।

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प्रकृति और रोमांच : पर्यटन को मिलता नया आयाम

चंदेरी गांव केवल इतिहास और हैंडलूम तक सीमित नहीं है। हाल के वर्षों में मध्यप्रदेश टूरिज्म ने यहां प्रकृति–आधारित पर्यटन को भी एक नया रूप दिया है। कटी घाटी के पास के क्षेत्र, शांत झीलें, पहाड़ी रास्ते और हरे–भरे परिदृश्य साहसिक गतिविधियों के लिए अनुकूल हैं।

इको टूरिज़्म और ‘ग्लोम्पिंग’ के चलते पर्यटक यहां लक्ज़री टेंट में ठहरकर हॉट एयर बैलून, एटीवी राइड, ज़िपलाइन, हाइकिंग, बर्ड वॉचिंग और नेचर ट्रेल्स का आनंद लेते हैं। सुबह का योग सत्र और शाम का सांस्कृतिक कार्यक्रम पर्यटकों को स्थानीय जीवन से जोड़ते हैं।

बता दें कि यहां की विरासत, कारीगरी, प्रकृति और आतिथ्य—चारों मिलकर चंदेरी को खास पहचान दिलाते हैं। चंदेरी केवल एक गांव नहीं, बल्कि इतिहास, कला और प्रकृति का जीवंत संग्रहालय है—जहां हर धड़कन बुंदेलखंड की संस्कृति की गूंज सुनाती है। यदि आप मध्यप्रदेश का असली सौंदर्य देखना चाहते हैं, तो चंदेरी आपका इंतज़ार कर रहा है।


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Content Editor

Jyotsna Rawat

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