केंद्र ने शुरू की 21वीं पशुधन जनगणना, ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण कदम

punjabkesari.in Saturday, Oct 26, 2024 - 05:48 PM (IST)

नेशनल डेस्क : केंद्र सरकार ने शुक्रवार को 21वीं पशुधन जनगणना (एलसी) शुरू की है, जो हर पांच साल में पशुधन की गिनती का कार्यक्रम है। केंद्रीय पशुपालन और डेयरी मंत्री राजीव रंजन सिंह ने कहा कि यह जनगणना पशुधन क्षेत्र की नीतियों को बेहतर बनाने में मदद करेगी, जो देश की आर्थिक वृद्धि में अहम भूमिका निभाती है।

उन्होंने बताया कि पशुधन केवल ग्रामीण अर्थव्यवस्था में योगदान नहीं करता, बल्कि यह लाखों परिवारों के लिए पोषण, रोजगार और आय का एक महत्वपूर्ण स्रोत भी है। "इस जनगणना से हमें पशुधन की अद्यतन जानकारी मिलेगी, जिससे सरकार को रोग नियंत्रण, नस्ल सुधार और ग्रामीण आजीविका जैसे मुद्दों पर ध्यान देने में मदद मिलेगी," उन्होंने कहा।

मंत्री ने बताया कि इस बार डेटा संग्रह के लिए मोबाइल ऐप और वेब-आधारित डैशबोर्ड जैसे नए तरीके पेश किए गए हैं। जनगणना में मवेशी, भैंस, याक, भेड़, बकरी, सुअर, ऊंट, घोड़ा, टट्टू, कुत्ता, खरगोश और हाथी जैसी 15 प्रजातियों की गिनती की जाएगी। पोल्ट्री पक्षियों की संख्या भी हर घर और संस्थान से ली जाएगी।

यह जनगणना भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के द्वारा मान्यता प्राप्त 16 प्रजातियों की 219 स्वदेशी नस्लों पर डेटा इकट्ठा करेगी। खास बात यह है कि इसमें चरवाहों द्वारा रखे गए पशुधन का डेटा भी स्वतंत्र रूप से उपलब्ध होगा।

पशुपालन मंत्रालय ने बताया कि इस जनगणना में लगभग एक लाख पशुचिकित्सकों और पैरा-पशुचिकित्सकों की मदद ली जाएगी, जो इसे अक्टूबर 2024 से फरवरी 2025 तक आयोजित करेंगे। राज्य मंत्री एस.पी. सिंह बघेल ने कहा कि यह जनगणना खाद्य सुरक्षा, गरीबी उन्मूलन और ग्रामीण विकास के लिए महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा, "इस जनगणना से हमें नए आंकड़े और अंतर्दृष्टि मिलेंगी, जो बेहतर कार्यक्रम बनाने में मदद करेंगी।"

एक और राज्य मंत्री जॉर्ज कुरियन ने कहा कि पशुधन 2.1 करोड़ से अधिक लोगों की आजीविका का स्रोत है और यह भारत की कृषि अर्थव्यवस्था का महत्वपूर्ण हिस्सा है। उन्होंने कहा, "इस जनगणना से हमें यह समझने में मदद मिलेगी कि हमें किस क्षेत्र में सुधार की आवश्यकता है।"


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News Editor

Parveen Kumar

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