सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट से सालाना बचेंगे एक हजार करोड़, केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया

Wednesday, Nov 04, 2020 - 06:10 PM (IST)

नई दिल्लीः केन्द्र ने मंगलवार को उच्चतम न्यायालय से कहा कि लुटियन की दिल्ली में राष्ट्रपति भवन से इंडिया गेट तक तीन किमी के दायरे में सेन्ट्रल विस्टा परियोजना राजधानी में केन्द्र सरकार के मंत्रालयों के परिसरों के लिये किराये के रूप में खर्च होने वाला धन बचायेगी। केन्द्र ने यह भी कहा कि नये संसद भवन के निर्माण के बारे में न तो जल्दबाजी में फैसला लिया गया है और न ही परियोजना के लिये किसी भी तरह से किसी कानून या मानकों का उल्लंघन किया गया है।

न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर, न्यायमूर्ति दिनेश माहलेश्वरी और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ के समक्ष केन्द्र ने कहा कि नये संसद भवन की जरूरत है क्योंकि इसमें स्थित अनेक कार्यालयों ने अर्पाप्त जगह की ओर बार बार संकेत दिये हैं। सालिसीटर जनरल तुषार मेहता ने इस परियोजना के लिये पर्यावरण मंजूरी सहित अनेक पहलुओं को लेकर दायर याचिका का विरोध करते हुये कहा कि सभी मंत्रालयों के एक ही स्थान पर होने से कार्यक्षमता बढ़ेगी और इनके बीच बेहतर समन्वय सुनिश्चित हो सकेगा।

मेहता ने कहा कि वर्तमान संसद भवन की संरचना भूकंपरोधी नहीं है और संसद भवन की नई इमारत मौजूदा भवन की पूरक होगी। सालिसीटर जनरल ने कहा, ‘‘आजादी के 73 साल बाद भी राष्ट्र के पास केन्द्रीय सचिवालय नहीं है। अनेक मंत्रालय किराये के परिसरों में हैं। केन्द्र सरकार के मंत्रालयों के लिये किराये के रूप में हजारों करोड़ रूपए का भुगतान किया जाता है। यह परियोजना धन बचायेगी।'' पिछले साल सितंबर में पुनर्निर्माण की घोषणा में नयी त्रिकोणीय संसद भवन की परिकल्पना की गयी है जिसमे 900 से 1200 सांसदों के बैठने की क्षमता होगी और अगस्त 2022 तक इसका निर्माण करने का लक्ष्य रखा गया है जब देश आजादी की 75वीं वर्षगांठ मना रहा होगा। कॉमन केन्द्रीय सचिवालय 2024 तक निर्मित होने की संभावना है।

वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से सुनवाई के दौरान मेहता ने कहा, ‘‘चूंकि सारे मंत्रालय एक ही स्थान पर नहीं है, इसलिये एक मंत्रालय से दूसरे मंत्रालय पहुंचने के लिये गाड़ियां यहां से वहां दौड़ती हैं और इसका असर यातायात पर भी पड़ता है।'' सालिसीटर जनरल ने कहा, ‘‘सारे मंत्रालय एक ही स्थान पर होने से इनकी कार्यक्षमता भी बढ़ेगी। इनके लिये मेट्रो स्टेशन आपस में जुड़े होंगे और इसका अंतिम छोर सचिवालय के नीचे होगा जिससे वाहनों का प्रयोग न्यूनतम होगा।'' नए संसद भवन की आवश्यकता पर जोर देते हुये मेहता ने कहा कि वर्तमान ऐतिहासिक भवन को नयी सज्जा प्रदान की जायेगी। उन्होंने कहा कि संसद भवन की नई इमारत के बारे में निर्णय के लिये किसी स्वतंत्र अध्ययन की आवश्यकता नहीं है क्योंकि मौजूदा भवन के कार्यालयों के लिये स्थान अपर्याप्त हो रहा है।

मेहता ने कहा, ‘‘अगर याचिकाकर्ताओं की चिंता किसी पर्यावरण मुद्दे को लेकर है तो इसका पूरा ध्यान रखा गया है।'' उन्होंने कहा कि इस परियोजना के लिये किसी भी कानून या मानदंडों का उल्लंघन नहीं किया गया है।'' इस मामले में बहस बुधवार को भी जारी रहेगी। इस परियोजना के लिये भूमि के उपयोग में बदलाव सहित अनेक विषयों पर प्राधिकारियों की मंजूरी के खिलाफ कार्यकर्ता राजीव सूरी सहित अनेक व्यक्तियों ने याचिकायें दायर कर रखी हैं। इससे पहले, न्यायालय ने कहा था कि सेन्ट्रल विस्टा परियोजना के लिये प्राधिकारियों द्वारा भू उपयोग में बदलाव के बारे में दी गयी मंजूरी उनकी अपने जोखिम पर होगी। इन याचिकाओं में केन्द्रीय विस्टा समिति द्वारा अनापत्ति प्रमाण पत्र और पर्यावरण मंजूरी को भी चुनौती दी गयी है।

Yaspal

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