ऑफ द रिकॉर्डः जस्टिस एके सीकरी से निराश है केंद्र सरकार

Thursday, Jul 26, 2018 - 11:32 AM (IST)

नेशनल डेस्कः एक समय था जब सत्तारूढ़ भाजपा नेता यह संकेत दे रहे थे कि सुप्रीम कोर्ट के मौजूदा जज रंजन गोगोई को अक्तूबर में मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की सेवानिवृत्ति के बाद सुपरसीड किया जा सकता है। यह भी चर्चा है कि जस्टिस ए.के. सीकरी उनकी बजाय भारत के नए मुख्य न्यायाधीश होंगे जोकि वरीयता में चौथे नम्बर पर हैं। मगर सरकार रंजन गोगोई से इसलिए नाराज हुई क्योंकि उन्होंने 3 अन्य जजों के साथ एक संयुक्त प्रैस कॉन्फ्रैंस को सम्बोधित किया था और मुख्य न्यायाधीश के नेतृत्व में उच्चतम न्यायालय की कार्यप्रणाली पर प्रश्न उठाए थे।

अप्रत्यक्ष रूप से जजों ने न्यायपालिका को प्रभावित करने के लिए मोदी सरकार की कार्यपद्धति पर कटाक्ष किया था। मगर यह व्यवस्था उस तरह नहीं हुई जैसा सरकार ने सोचा था। जब कर्नाटक के राज्यपाल ने बी.एस. येद्दियुरप्पा को राज्य विधानसभा में अपना बहुमत साबित करने के लिए 15 दिन का समय दिया था तो उसको सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई। यह मामला जस्टिस ए.के. सीकरी की पीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया गया। प्रधानमंत्री मोदी ने निजी तौर पर पूर्व अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी को फोन कर कहा कि वह भाजपा की तरफ से पेश हों और इस संबंधी राहत दिलाएं। इस खेल में भाजपा हार रही है। इस बात को महसूस करते हुए रोहतगी ने पीठ से येद्दियुरप्पा को सोमवार तक का समय देने की अपील की, मगर जस्टिस सीकरी की पीठ इस दलील से विचलित नहीं हुई और भाजपा को कोई राहत नहीं मिली।

भाजपा बहुमत साबित करने में विफल रही जिससे भाजपा की विश्वसनीयता को आघात पहुंचा। यहीं बस नहीं हुआ। जस्टिस सीकरी ने आप की दिल्ली सरकार के साथ चल रही लड़ाई में भी केन्द्र के पक्ष में फैसला नहीं दिया। इन 2 झटकों ने सरकार की सोच को बदल दिया और अब यह महसूस किया गया कि चुनावी वर्ष के मद्देनजर जज को सुपरसीड करना अच्छा विचार नहीं। दूसरी बात यह कि भाजपा कांग्रेस के खिलाफ अपने मुख्य मुद्दे को खो देगी। अगर उसने वही काम किया जो स्व. इंदिरा गांधी ने किया था जब जस्टिस ए.एन. रे को 3 वरिष्ठ जजों से सुपरसीड किया गया था और रोष स्वरूप सभी ने इस्तीफा दे दिया था।

Seema Sharma

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