कॉलेजियम पर केंद्र सरकार और सुप्रीम कोर्ट आमने-सामने, फाइलें लौटाने पर जताई नाराजगी

punjabkesari.in Tuesday, Nov 29, 2022 - 11:40 AM (IST)

नेशनल डेस्क: सुप्रीम कोर्ट ने शीर्ष अदालत में न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए कॉलेजियम की ओर से अनुशंसित नामों को मंजूरी देने में केंद्र की ओर से देरी पर सोमवार को नाराजगी जताते हुए कहा कि यह नियुक्ति के तरीके को ‘‘प्रभावी रूप से विफल'' करता है। कॉलेजियम प्रणाली को लेकर केंद्रीय काननू मंत्री किरेन रिजिजू की ओर से की गई टिप्पणी पर सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी भी व्यक्त की है। सुप्रीम कोर्ट ने जजों की नियुक्ति की कॉलेजियम प्रणाली पर केंद्रीय मंत्री की ओर से की गई टिप्पणी पर कहा कि ऐसा नहीं होना चाहिए था। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कॉलेजियम पर कानून मंत्री की ओर से टीवी पर की गई टिप्पणी को पूरी तरह से खारिज कर दिया। हाल ही में कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने कॉलिजियम सिस्टम को एलियन बताया है।

 

केंद्र नहीं दे रहा मंजूरी

जस्टिस एस के कौल और जस्टिस ए एस ओका की पीठ ने कहा कि शीर्ष अदालत की तीन न्यायाधीशों की पीठ ने नियुक्ति प्रक्रिया पूरी करने के लिए समय सीमा निर्धारित की थी। पीठ ने कहा कि उस समय सीमा का पालन करना होगा। जस्टिस कौल ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि सरकार इस तथ्य से नाखुश है कि राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (NJAC) अधिनियम को मंजूरी नहीं मिली, लेकिन यह देश के कानून के शासन को नहीं मानने की वजह नहीं हो सकती है। शीर्ष अदालत ने 2015 के अपने फैसले में एनजेएसी अधिनियम और संविधान (99वां संशोधन) अधिनियम, 2014 को रद्द कर दिया था, जिससे शीर्ष अदालत में न्यायाधीशों की नियुक्ति करने वाली न्यायाधीशों की मौजूदा कॉलेजियम प्रणाली बहाल हो गई थी।

 

सोमवार को सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणि से कहा कि जमीनी हकीकत यह है कि शीर्ष अदालत कॉलेजियम द्वारा दोहराए गए नामों सहित अनुशंसित नामों को सरकार द्वारा मंजूरी नहीं दी जा रही है। पीठ ने कहा, ‘‘तंत्र कैसे काम करता है?'' साथ ही, पीठ ने कहा, ‘‘हम अपना रोष पहले ही व्यक्त कर चुके हैं।'' न्यायमूर्ति कौल ने कहा, ‘‘यह मुझे प्रतीत होता है, मैं कहना चाहूंगा कि सरकार नाखुश है कि NJAC को मंजूरी नहीं मिली।'' न्यायमूर्ति कौल ने कहा कि कई बार कानून को मंजूरी मिल जाती है और कई बार नहीं मिलती। उन्होंने कहा, ‘‘यह देश के कानून के शासन को नहीं मानने की वजह नहीं हो सकती। शीर्ष अदालत एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें आरोप लगाया गया है कि समय पर नियुक्ति के लिए पिछले साल 20 अप्रैल के आदेश में शीर्ष अदालत द्वारा निर्धारित समय सीमा की ‘‘जानबूझकर अवज्ञा'' की जा रही है। पीठ ने शीर्ष अदालत और उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए की गई प्रक्रिया का उल्लेख किया।

 

पीठ ने कहा, ‘‘एक बार जब कॉलेजियम किसी नाम को दोहराता है, तो यह अध्याय समाप्त हो जाता है।'' साथ ही पीठ ने कहा, ऐसी स्थिति नहीं हो सकती है जहां सिफारिशें की जा रही हैं और सरकार उन पर बैठी रहती है क्योंकि यह प्रणाली को विफल करती है। पीठ ने कहा कि कुछ नाम डेढ़ साल से सरकार के पास लंबित हैं। शीर्ष अदालत ने कहा, ‘‘आप नियुक्ति के तरीके को प्रभावी ढंग से विफल कर रहे हैं।''  अदालत ने कहा, ‘‘इस तरह से नामों को लंबित रखकर वह जीतने का दिखावा कर रहे हैं।'' पीठ ने कहा कि इस मामले में अटॉर्नी जनरल और सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता, दोनों पेश हो रहे हैं। पीठ ने हल्के-फुल्के अंदाज में कहा, ‘‘तो डबल बैरल गन को काम करना चाहिए।''

 

पीठ ने कहा कि कॉलेजियम ने कुछ उच्च न्यायालयों के लिए मुख्य न्यायाधीशों के नामों की सिफारिश की है और ये सिफारिशें ठंडे बस्ते में हैं। पीठ ने कहा, ‘‘पिछले दो महीने से सब कुछ ठप्प पड़ा है, कृपया इसका समाधान करें। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट में न्यायाधीशों की नियुक्ति की प्रक्रिया से अवगत सूत्रों ने कहा, ‘‘ सिफारिश किए गए नामों पर केंद्र सरकार ने कड़ी अपत्ति जताई है और गत 25 नवंबर को फाइलें कॉलेजियम को वापस कर दीं।'' उन्होंने कहा कि इन 20 मामलो में से 11 नये मामले हैं, जबकि शीर्ष अदालत कॉलेजियम ने नौ मामलों को दोहराया है।


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Content Writer

Seema Sharma

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