केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में रखा पक्ष, खनिकों को बचाने में आ रही दिक्कतें

Friday, Jan 04, 2019 - 07:06 PM (IST)

नई दिल्लीः केन्द्र ने शुक्रवार को उच्चतम न्यायालय को सूचित किया कि मेघालय में 13 दिसंबर से एक गैरकानूनी कोयला खदान में फंसे 15 खनिकों के बचाव कार्य में परेशानियां आ रही हैं क्योंकि 355 फुट गहरी खदान का कोई खाका नहीं है जो चूहे के बिलों जैसी भूलभुलैया है। न्यायमूर्ति ए के सीकरी और न्यायमूॢत एस अब्दुल नजीर की पीठ को सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने बताया कि यह गैरकानूनी खदान एक नदी के किनारे स्थित है और इससे हो रहा पानी का रिसाव बचाव अभियान में बाधा पैदा कर रहा है।

शुरू में बचाने के लिए नहीं किए गए गंभीर प्रयास
पीठ ने टिप्पणी की कि खदान में फंसे मजदूरों को बचाने के लिये शुरू में कोई गंभीर प्रयास नहीं किये गये परंतु अब ऐसा लगता है कि प्राधिकारी प्रयास कर रहे हैं। पीठ ने केन्द्र और दूसरे प्राधिकारों को सात जनवरी को स्थिति रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया, जिसमे बचाव के लिये उठाये गये कदमों और प्रगति की जानकारी देनी होगी। न्यायालय इन मजदूरों को बचाने के लिये तत्काल आवश्यक कदम उठाने हेतु दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रहा था।

केंद्र ने दी सफाई
केन्द्र की ओर से सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने मेघालय की खदान में फंसे इन मजदूरों के बचाव के लिये तेजी से उठाये जा रहे कदमों के बारे में पीठ को अवगत कराया। उन्होंने कहा कि चूंकि यह खदान गैरकानूनी थी, इसका कोई खाका उपलब्ध नहीं है और इस वजह से बचाव कार्य में दिक्कतें आ रही हैं क्योंकि इसमें ‘चूहे के बिलों की भूलभुलैया’’ जैसी बनी हुयी है और कोई नहीं जानता कि यह कहां जा रहा है।

जमीन के अंदर 355 गहरा कुंआ
मेहता ने कहा कि 355 फुट का कुंआ जमीन के अंदर 20 मंजिला इमारत की तरह है। मेघालय के पूर्वी जयंतिया पर्वतीय जिले में पहाड़ी के शीर्ष पर स्थित रैट होल खदान में पास की लितेन नदी का पानी भर गया था, जिसके बाद खदान में काम कर रहे 15 मजदूर अंदर ही फंस गए थे। रैट होल खदान में संकरी सुरंगे खोदी जाती हैं जिसके भीतर मजदूर जाते हैं और कोयला निकाल कर लाते हैं। मेहता ने कहा कि पांच वर्ग किलोमीटर के दायरे मे अनेक खदान हैं और राष्ट्रीय आपदा मोचन बल, गोताखोर तथा श्वान स्कैड घटना के तुरंत बाद ही मौके पर पहुंच गया था।

थाईलैंड मामले का किया जिक्र
थाईलैंड में पिछले साल जून-जुलाई में एक गुफा के भीतर फुटबॉल टीम के फंसने की घटना का जिक्र करते हुये उन्होने कहा कि उस गुफा का नक्शा उपलब्ध था। इसमें हवा आने जाने की व्यवस्था थी जिससे आक्सीजन जा रही थी। उन्होंने कहा कि खदान में कीचड़ है और आपदा मोचन बल के गोताखोर एक सीमा से आगे नहीं बढ़ पा रहे हैं और इसलिए अब नौसेना के विशेषज्ञ गोताखोरों को बुलाया गया है।

सुप्रीम कोर्ट ने जताई नाराजगी
मेहता ने कहा कि उच्च क्षमता वाले पंपों की मदद से खदान से पानी बाहर निकाला जा रहा है लेकिन नदी से हो रहे जल रिसाव की वजह से उन्हें अपेक्षित नतीजे नहीं मिल रहे हैं। उन्होंने बताया कि किर्लोस्कर ब्रदर्स लि के उच्च शक्ति वाले पंप लगाये जा चुके हैं परंतु नदी से आ रहे पानी की वजह से खदान में जल का स्तर कम नहीं हो रहा है। इससे पहले, बृहस्पतिवार को शीर्ष अदालत ने इस खदान में फंसे 15 खनिकों को बचाने के काम पर असंतोष व्यक्त करते हुये कहा था कि उन्हें बचाने के लिए शीघ्र, तत्काल एवं प्रभावी’’ अभियान चलाने की जरूरत है क्योंकि यह जिंदगी और मौत का सवाल है। लगभग तीन हफ्ते से खदान फंसे लोगों के लिए च्च्प्रत्येक मिनट कीमती’’ है।

Yaspal

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