आम चुनाव में चर्चित हस्तियों के बेटे तो हारे पर बेटियों ने जीत लिया दांव

Friday, May 24, 2019 - 05:30 PM (IST)

नेशनल डेस्क: राजनीतिक विरासत को लेकर लोगों में यही भाव रहता है कि बेटा भी पिता के नक्शे कदम पर चल कर सफलता हासिल करेगा लेकिन इस बार के आम चुनाव में यह गलत साबित हो गया। मशहूर सियासी लोगों के बेटों को 17वीं लोकसभा के चुनाव में पराजय का कड़वा स्वाद चखना पड़ा पर बेटियों ने अपनी राजनीतिक विरासत को बखूबी संभाल लिया। पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के बेटे और कांग्रेस प्रमुख राहुल गांधी अपनी परंपरागत अमेठी सीट को गंवा बैठे तो राजस्थान के मौजूदा मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बेटे वैभव गहलोत जोधपुर सीट से नाकाम रहे।


 गांधी को भाजपा की स्मृति ईरानी ने करीब 55 हजार वोटों से तो वैभव को भाजपा के गजेंद्र सिंह शेखावत ने 2.7 लाख वोटों से करारी शिकस्त दी। पूर्व केंद्रीय मंत्री माधव राव सिंधिया के बेटे ज्योतिरादित्य सिंधिया, उनका गढ़ कही जाने वाली मध्य प्रदेश की गुना सीट से हार गए जबकि यह सीट उनके कब्जे में 1999 से लगातार बनी हुई थी। राजस्थान के बाड़मेर में भाजपा के संस्थापक सदस्य जसवंत सिंह के बेटे मानवेंद्र सिंह 3.2 लाख वोटों से पीछे रह गये। 

पश्चिमी इलाके में अजित पवार के बेटे पार्थ पवार, मुरली देवड़ा के बेटे मिलिंद देवड़ा, शंकरराव चव्हाण के बेटे अशोक चव्हाण क्रमश: मावल, मुंबई दक्षिण और नांदेड़ सीट हार गए। राकांपा के पार्थ को 2,15,913 मतों से, मिलिंद 1,00,067 वोटों से तो अशोक 40,148 वोटों के अंतर से हार गए। देश के दक्षिणी हिस्से में कर्नाटक के मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी के पुत्र निखिल कुमारस्वामी जदयू के टिकट पर मांड्या सीट से सवा लाख वोट से हार गए। बेटों के बरक्स बेटियों ने इस बार पिता की पगड़ियों की रक्षा कर ली है। 

मराठा क्षत्रप शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले ने राकांपा के टिकट पर बारामती सीट से विजय पताका फहरा दी है। उन्होंने भाजपा की कंचन राहुल कूल को डेढ़ लाख मतो के अंतर से हराया। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री रहे एम करूणानिधि की बेटी कनिमोई ने द्रमुक के टिकट पर थुतुकुड़ी सीट 3.47 लाख वोटों के विशाल अंतर से जीत हासिल कर ली है।

vasudha

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