नागरिकता विधेयक पारित नहीं होने पर पूर्वोत्तर में जश्न का माहौल

Wednesday, Feb 13, 2019 - 08:07 PM (IST)

गुवाहाटी: राज्यसभा में नागरिकता (संशोधन) विधेयक पारित नहीं होने के बाद असम सहित पूर्वोत्तर के राज्यों में जश्न का माहौल है। विधेयक का विरोध करने वालों ने पटाखे फोड़कर और मिठाइयां बांटकर इसका जश्न मनाया। उत्साह में लोग सड़कों पर झूमने-गाने लगे। गांव-कस्बे, शहरों में पटाखे चलाए गए और लोगों ने ‘नरेंद्र मोदी, अमित शाह, सर्वानंद सोनोवाल, हिमंत विश्व सरमा हाय-हाय के नारे लगाए।’

बहरहाल, असम के वित्त मंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता हिमंत विश्व सरमा ने कहा है कि राजग के पास राज्यसभा में बहुमत नहीं है, इसलिए वह विधेयक पेश नहीं कर सका। उन्होंने कहा कि भाजपा के नेतृत्व वाले गठबंधन को बहुमत मिलते ही इस विधेयक को फिर से लाया जाएगा।

वर्तमान लोकसभा के अंतिम सत्र (बजट सत्र) के दौरान विवादित नागरिकता संशोधन विधेयक राज्यसभा में पारित नहीं किए जा सकने के कारण इसका निष्प्रभावी होना तय है। तीन जून को इस लोकसभा का कार्यकाल समाप्त होने पर विधेयक निष्प्रभावी हो जाएगा। पूर्वोत्तर के भाजपा के दो मुख्यमंत्री ने भी विधेयक का विरोध किया था। अरुणाचल प्रदेश के पेमा खांडू और मणिपुर के बीरेन सिंह ने इस पर एतराज जताया था।

विधेयक के बारे में खबर आने के बाद मणिपुर की राजधानी इंफाल से बुधवार दोपहर र्कफ्यू हटा लिया गया। मंगलवार से यहां र्कफ्यू लागू था। हालांकि, मोबाइल इंटरनेट सेवा पर कुछ और समय तक रोक रहेगी। मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने राज्यसभा में विधेयक नहीं पेश करने के लिए केंद्र सरकार का शुक्रिया अदा किया है। मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड संगमा ने इसे पूर्वोत्तर के लोगों के लिए ‘बड़ा क्षण’ बताया। संगमा की नेशनल पीपुल्स पार्टी भाजपा की सहयोगी है। विधेयक पारित होने पर उसने भी राजग से नाता तोडऩे की धमकी दी थी।

असम के पूर्व मुख्यमंत्री प्रफुल्ल कुमार महंत की पार्टी अगप भी विवादास्पद विधेयक को लेकर राजग से बाहर हो गई थी। महंत ने कहा कि केंद्र सरकार इसका संज्ञान ले और अध्यादेश लाकर इसे लागू नहीं करे। सरकार के पास अगर यह जरिया है तो लोगों के पास भी विकल्प है। असम कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रिपुन बोरा ने कहा कि पार्टी संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी और एआईसीसी अध्यक्ष राहुल गांधी के मार्गदर्शन में विवादास्पद विधेयक के खिलाफ लड़ेगी।

असम के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता तरुण गोगोई ने घटनाक्रम को लोकतंत्र, पूर्वोत्तर और असम के लोगों की जीत बताया। जबकि, भाजपा के वरिष्ठ नेता सरमा ने दावा किया है कि विधेयक के बिना असम की 17 विधानसभा सीटों पर बांग्लादेशी मुसलमानों का कब्जा हो जाएगा। उन्होंने कहा, ‘अगर हमारे पास विधेयक नहीं होगा तो 2021 में समूचे असम में बांग्लादेशी मुसलमानों का शासन होगा। असम की सभ्यता, संस्कृति, भाषा हमेशा के लिए खत्म हो जाएगी।’

shukdev

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