ऑफ द रिकॉर्डः CCA को शीतकालीन सत्र में ही क्यों पास करवाना चाहते थे शाह?

Saturday, Jan 04, 2020 - 08:08 AM (IST)

नेशनल डेस्कः अब इस बात से पर्दा उठ रहा है कि अमित शाह संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान ही क्यों नागरिकता संशोधन कानून (सी.ए.ए.) को पास करवाने के लिए जोर लगा रहे थे। लोकसभा चुनावों में प्रचंड जनादेश मिलने के बाद सरकार ने काफी समय से लम्बित तीन तलाक विधेयक को 31 जुलाई को संसद में पास करवा लिया। इसके बाद 5 अगस्त को अनुच्छेद 370 हटाया गया तथा इसके बाद 9 नवम्बर को राम मंदिर के मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया। इससे सरकार के खाते में काफी ऐतिहासिक उपलब्धियां दर्ज हो गईं। 

ऐसा लगता है कि अमित शाह 2019 में ही लम्बित सी.ए.ए. को पास करवाना चाहते थे क्योंकि उनका मकसद 2021 में होने वाले पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनावों में इसका लाभ लेना भी था। पश्चिम बंगाल की लगभग 11 करोड़ जनसंख्या में से करीब 7 करोड़ मतदाता हैं। गृह मंत्रालय के अनुमान के अनुसार इस प्रदेश में अवैध आप्रवासियों की संख्या 1 करोड़ है। इन 1 करोड़ अवैध आप्रवासियों में भाजपा के अनुमान के अनुसार लगभग 25-30 लाख गैर-मुसलमान हैं। सी.ए.ए. के पास होने से वे वोट देने के हकदार होंगे जबकि 70 लाख अवैध तौर पर रह रहे मुसलमान इस लाभ से वंचित रहेंगे। यदि सी.ए.ए. को लागू किया जाता है तो यह एन.आर.सी. की तरह काम करेगा और इसका असर राज्य की 95 विधानसभा सीटों पर पड़ेगा। 

असम में छोड़ दी गई एन.आर.सी. प्रक्रिया से पता चला है कि यहां 18 लाख अवैध निवासी थे। पश्चिम बंगाल में इस तरह के आप्रवासियों की संख्या 1 करोड़ है। अमित शाह के लिए पश्चिम बंगाल को जीतना एक बड़े सपने की तरह है। आजकल वह बंगाली भी सीख रहे हैं ताकि 2021 के विधानसभा चुनाव के दौरान वह लोगों से उनकी ही भाषा में बात कर सकें। ऐसा करके भाजपा इस नैरेटिव का भी तोड़ निकालने की कोशिश करेगी कि वह हिन्दी हार्टलैंड पार्टी है। लेकिन फिलहाल सी.ए.ए. के हो रहे भारी विरोध के चलते उसका उत्साह कुछ कम हुआ है और यह प्रक्रिया फिलहाल रोक ली गई है। 

Pardeep

Advertising