CBI Vs ममता: ये है पूरा मामला, जिसके चलते कोलकाता में देर रात हुआ हाई वोल्टेज ड्रामा

Monday, Feb 04, 2019 - 02:59 PM (IST)

नेशनल डेस्क (शादाब हसन खान): शारदा चिटफंट घोटाले के मामले में पश्चिम बंगाल के पुलिस कमिश्नर से पूछताछ करने रविवार को उनके घर पहुंची सी.बी.आई. की टीम से कोलकाता पुलिस भिड़ गई। इस दौरान कोलकाता पुलिस और सी.बी.आई. टीम के बीच हाथापाई की नौबत भी आ गई। इसके बाद बिधाननगर पुलिस ने सी.बी.आई. के दफ्तर सी.जी.ओ. काम्पलैक्स पर कब्जा कर लिया। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी आनन-फानन में पुलिस कमिश्नर के घर पहुंचीं और वहां पुलिस अधिकारियों के साथ मीटिंग शुरू कर दी। कोलकाता पुलिस ने सी.बी.आई. के 5 अफसरों को हिरासत में ले लिया लेकिन बाद में रिहा कर दिया। इस घटना के बाद सियासी खेमों में भी हड़कम्प मच गया है।
कब क्या हुआ

  • 6:33- सीबीआई अधिकारी पुलिस कमिश्नर राजीव के घर पहुंचे, पुलिसवालों ने उन्हें रोका।
  • 6:58-पुलिस जबरन पांच सीबीआई अफसरों को शेक्सपियर सरनी थाने ले गई।
  • 7:12-मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पुलिस कमिश्नर के घर पहुंची और अफसरों के साथ बैठक की।
  • 8:50- ममता बनर्जी अनिश्चितकालीन धरने पर बैठी।
  • 8:56-हिरासत में लिए गए सीबीआई अधिकारियों को पुलिस ने छोड़ा।

CBI Vs कोलकाता पुलिस-क्या कहता है कानून

शारदा चिटफंट घोटाले के मामले में सी.बी.आई. के अधिकार क्षेत्र को लेकर बहस शुरू हो चुकी है। संविधान के मुताबिक कानून और व्यवस्था राज्य सूची में आता है। इसलिए विधि-व्यवस्था बनाए रखना राज्य की जिम्मेदारी है और किसी अपराध की जांच करने का अधिकार राज्य के पास है। संविधान में व्यवस्था है कि संघ सूची में आने वाले मामलों के विषय में सी.बी.आई. जांच कर सकती है। इसके अलावा विशेष परिस्थितियों में उच्च न्यायालय या उच्चतम न्यायालय सी.बी.आई. को किसी भी राज्य में जांच या छापेमारी के लिए आदेश दे सकती है। सी.बी.आई. के कामकाज का तरीका दिल्ली स्पैशल पुलिस स्टैबलिशमैंट एक्ट के तहत तय होता है। अधिनियम की धारा 5 के तहत केंद्र सरकार निर्दिष्ट अपराधों की जांच के लिए राज्यों तक अपनी शक्तियां और अधिकार क्षेत्र का विस्तार कर सकती है। हालांकि यह शक्ति धारा 6 द्वारा प्रतिबंधित है, जिसके अनुसार सी.बी.आई. दिल्ली और केंद्र शासित प्रदेशों के बाहर किसी राज्य में उसकी अनुमति बिना केसों की छानबीन नहीं कर सकती है। हालांकि, उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालयों को अधिकार है कि वह किसी भी केस की जांच किसी भी राज्य में करने का सी.बी.आई. को आदेश दे सकते हैं। अगर कोई राज्य अनुमति नहीं देता और जांच और छापेमारी जरूरी है तो वह उच्च न्यायालय या सुप्रीम कोर्ट से अनुमति देने के लिए कह सकती है।

कौन हैं राजीव कुमार

1989 बैच के आई.पी.एस. अधिकारी राजीव कुमार ममता बनर्जी के करीबी माने जाते हैं। उन्होंने पहले विधाननगर के पुलिस आयुक्त, सी.आई.डी. और एस.आई.टी. प्रमुख के रूप में सेवाएं दी हैं। 2013 में शारदा और रोज वैली घोटाला सामने आने पर बनर्जी ने एस.आई.टी. जांच का आदेश दिया और एस.आई.टी. प्रमुख के रूप में कुमार ने जांच का जिम्मा संभाला। 2014 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर मामला सी.बी.आई. को सौंप दिया गया।

शारदा घोटाला

शारदा ग्रुप से जुड़ा चिटफंड घोटाला 2,460 करोड़ रुपए का है। पुलिस और ई.डी. की जांच में खुलासा हुआ है कि 80 प्रतिशत जमाकर्त्ताओं का भुगतान बाकी है। शारदा ग्रुप की 4 कंपनियों का इस्तेमाल 3 स्कीमों के जरिए पैसा इधर-उधर करने में किया गया। बंगाल के साथ असम, त्रिपुरा, ओडिशा, झारखंड में भी स्कीम का जाल फैला था। इस कंपनी की स्थापना जुलाई 2008 में की गई थी। हालांकि देखते ही देखते ये कंपनी हजारों करोड़ की मालिक बन गई। आरोप लगाया जाता है कि इस कंपनी के मालिक सुदिप्तो सेन ने 'सियासी प्रतिष्ठा और ताकत' हासिल करने के लिए मीडिया में खूब पैसे लगाए और हर पार्टी के नेताओं से जान पहचान बढ़ाई।

Seema Sharma

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