ऑफ द रिकॉर्डः सी.बी.आई. ने योगी के आगे झुकने से मना किया

Saturday, Oct 24, 2020 - 04:04 AM (IST)

नई दिल्लीः सी. बी.आई. के जांच के तरीके भी अजीब हैं। इसने बिहार सरकार की सिफारिश पर सुशांत सिंह राजपूत केस में जहां तुरंत ही एफ.आई.आर. दर्ज कर ली थी, वहीं एजैंसी ने एक सप्ताह के बाद भी हाथरस मामले की जांच शुरू नहीं की है। जैसे कि इतना ही काफी नहीं था, सी.बी.आई. ने हाथरस मामले में योगी आदित्यनाथ की साजिश के एंगल से जांच करने की सिफारिश सेे भी मना कर दिया। 

योगी आदित्यनाथ सरकार ने राजनीतिक समूहों द्वारा अंतर्राष्ट्रीय साजिश और अन्य संगठनों द्वारा जातीय हिंसा भड़काने के मामले में अक्तूबर में 19 एफ.आई.आर. दर्ज की हैं। इसमें पोपुलर  फ्रंट  ऑफ  इंडिया (पी.एफ.आई.), एक अतिवादी मुस्लिम संगठन और जस्टिस फॉर हाथरसविकटिम.कार्ड.को. वैबसाइट के नाम शामिल हैं। किंतु सी.बी.आई. ने अंतर्राष्ट्रीय साजिश और योगी सरकार को अस्थिर करने की साजिश के एंगल से जांच करने से मना कर दिया है।

सी.बी.आई. कह चुकी है कि वह सिर्फ 19 वर्षीय लड़की से हाथरस में हुए गैंगरेप और उसके मर्डर मामले की ही जांच करेगी और इससे संबंधित राज्य प्रशासन द्वारा दर्ज अन्य मामलों की नहीं। सी.बी.आई. ने रेप और मर्डर केस दर्ज करने में लगभग 10 दिन लिए और राज्य सरकार को बताया कि वह अंतर्राष्ट्रीय प्रभाव व राष्ट्र विरोधी तत्वों द्वारा साजिश करने के मामले में स्वयं जांच करे। सी.बी.आई. प्रवक्ता आर.के. गौड़ ने पुष्टि की कि एजैंसी केवल दलित लड़की से कथित रेप और मर्डर मामले की जांच कर रही है। इससे पहले 5 अक्तूबर को उत्तर प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में गैंगरेप व मर्डर मामले और साजिश के आरोपों की सी.बी.आई. द्वारा जांच कराने की मांग की थी। 

हालांकि सी.बी.आई. कार्मिक विभाग के तहत होती है और पी.एम.ओ. के अंतर्गत कार्य करती है, केंद्रीय गृह मंत्रालय यह तय करता है कि ऐसे मामलों में राज्यों के लिए एजैंसी को क्या करना चाहिए। राज्य सरकार के अनुसार, विदेशी नागरिक वैबसाइट के माध्यम से उसी तरह जातीय दंगे भड़काने के लिए स्थानीय लोगों और संगठनों के संपर्क में थे,जैसे कि अमरीका में विद्रोह के समय हुआ था। 

Pardeep

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