नेगेटिव रिपोर्ट आने के बावजूद हो सकते है कोरोना से संक्रमित
Saturday, Apr 11, 2020 - 12:41 PM (IST)
नई दिल्ली : कोरोना वायरस का ग्राफ हर दिन बढ़ रहा है। पूरी दुनिया के वैज्ञानिक इसका इलाज़ ढूंढ़ने में लगे हुए है, परन्तु यही तक सफलता हाथ नहीं लगी है। इस बीच वैज्ञानिकों ने चेतावनी देते हुए कहा कि जिन लोगों का कोरोना टेस्ट निगेटिव आया है, वो भी पॉजिटिव हो सकते हैं। ऐसे में टेस्टिंग किट से सौ फीसदी सही जांच की गारंटी नहीं की जा सकती। इस चेतावनी के बाद पूरी दुनिता में हड़कंप मच गया है।
जांच को लेकर अभी चीज़े साफ़ नहीं
दुनिया भर में फिलहाल कोरोना वायरस की टेस्टिंग के लिए PCR तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है। इसके तहत मरीज के बलगम और ब्लड सैंपल में कोरोना वायरस के टुकड़े देखे जाते हैं। अमेरिका के मिनेसोटा की एक डॉक्टर प्रिया समपत कुमार का कहना है कि कई सारे फैक्टर हैं, जिससे पता चलता है कि टेस्ट के दौरान ये वायरस दिखेगा या नहीं। उन्होंने कहा, 'ये मुख्यतौर पर इस बात पर निर्भर करता है कि किसी मरीज के अंदर कितना ज्यादा कोरोना वायरस है, जो छींकने, खांसने और सांस लेने के दौरान बाहर आ रहा है। इसके अलावा यहां ये भी अहम है कि किस तरह टेस्ट के लिए स्वैब का सैंपल लिया गया।
ये भी अहम है कि कोरोना वायरस ने दुनिया में सिर्फ 4 महीने पहले ही दस्तक दिया है। ऐसे में इसकी जांच को लेकर फिलहाल चीज़े साफ नहीं है चीन से आई रिपोर्ट में कहा गया है कि 60 से 70 फीसदी मामलों में ही वायरस की पुष्टि सही-सही की जा सकती है। ये भी कहा जा रहा है कि दुनिया भर में कंपनिया अलग-अलग तरीके से टेस्टिंग किट बना रही है। डॉक्टर प्रिया समपत कुमार का कहना है कि टेस्टटिंग में गलतियों की काफी संभावना है।
अनुभवी लोगो की है कमी
डॉक्टरों का ये भी कहना है कि कोरोना वायरस बॉडी के अलग-अलग पार्ट में शिफ्ट होती रहती है। ऐसे में अगर कोई टेस्ट करने वाला ट्रेंड नहीं है तो वो स्वैब के जरिये सही तरीके से सैंपल नहीं ले पाता है। ऐसे में मरीज़ के निगेटिव होने के बाद भी रिपोर्ट पॉजिटिव आ सकती है। इससे बचने के लिए सही सैंपल का लेना बहुत ज़रूरी है।भारत में भी कोरोना का खतरा बढ़ता जा रहा है।अभी तक ये देश में 200 से अधिक लोगो की जान ले चुका है।