ममता सरकार को बड़ा झटका, कलकत्ता हाईकोर्ट ने 'दुआरे राशन' योजना को अवैध घोषित किया
Wednesday, Sep 28, 2022 - 04:12 PM (IST)
नेशनल डेस्क: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को कलकत्ता हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा है। हाईकोर्ट ने टीएमसी सरकार की दुआरे राशन' योजना को अवैध घोषित कर दिया है। कोर्ट ने इसे राष्ट्रीय राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के खिलाफ बताया है। उच्च न्यायालय ने यह फैसला उचित मूल्य के दुकानदारों द्वारा दाखिल याचिका पर सुनाया, जिन्होंने उसकी एकल पीठ के निर्णय को चुनौती दी थी। उच्च न्यायालय की एकल पीठ ने अपने फैसले में कहा था कि राज्य सरकार द्वारा शुरू की गई इस योजना में कुछ भी गैर-कानूनी नहीं है।
West Bengal | Calcutta High Court declares 'Duare Ration', a scheme run by the state govt, as illegal against the National Food Security Act
— ANI (@ANI) September 28, 2022
'Duare Ration' scheme was launched by West Bengal govt under which ration items were provided at the doorsteps of the beneficiaries
न्यायमूर्ति चित्तरंजन दास और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध रॉय की खंड पीठ ने ‘दुआरे राशन योजना' को राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम-2013 का उल्लंघन करार देते हुए कहा कि यह कानून की नजरों में मान्य नहीं है। पीठ ने टिप्पणी की, ‘‘राज्य सरकार ने राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम में प्रभावी प्रावधान के अभाव में उचित मूल्य के दुकानदारों को लाभार्थियों के घर पर राशन पहुंचाने के लिए बाध्य कर अपनी सीमा का उल्लंघन किया है।''
सरकार ने नवंबर 2021 में योजना की शुरुआत की थी
अदालत ने कहा कि अगर लाभार्थियों के घर पर राशन पहुंचाने के लिए केंद्र सरकार द्वारा राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम में संशोधन किया जाता है या राज्य सरकार को ऐसे अधिकार दिए जाते हैं, तभी राज्य की ओर से ऐसी योजना बनाई जा सकती है और उसे एनएफएसए के अनुरूप माना जा सकता है। गौरतलब है कि पश्चिम बंगाल में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली तृणमूल कांग्रेस सरकार ने नवंबर 2021 में दुआरे राशन योजना की शुरुआत की थी।
इस योजना में सार्वजनिक वितरण प्रणाली के लाभार्थियों को उनके घर तक राशन पहुंचाने की व्यवस्था की गई है। न्यायमूर्ति कृष्ण राव की एकल पीठ ने 16 जून को दिए फैसले में कहा था कि लाभार्थियों को उनके घर तक राशन पहुंचाने से जुड़ी राज्य सरकार की योजना के ‘‘बारे में यह नहीं कहा जा सकता कि योजना एनएफएस अधिनियम के किसी प्रावधान का उल्लंघन करती है।'' उचित मूल्य के दुकानदारों ने एकल पीठ के इस फैसले के खिलाफ उच्च न्यायालय की खंड पीठ का रुख किया था।