एसटी/एसटी कानून के मूल प्रारूप को कैबिनेट की मंजूरी, सहयोगियों ने किया स्वागत
Thursday, Aug 02, 2018 - 05:29 AM (IST)
नई दिल्लीः केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचारों की रोकथाम) कानून के मूल प्रावधानों को बहाल करने संबंधी विधेयक को आज मंजूरी दी। भाजपा नीत राजग सरकार के इस कदम को दलितों की इस मूल मांग के पक्ष में नौ अगस्त को देशव्यापी प्रदर्शन के प्रस्ताव को शांत करने के तौर पर देखा जा रहा है।
यह विधेयक किसी भी अदालती आदेश से प्रभावित हुए बिना बावजूद एससी/एसटी के खिलाफ अत्याचार के आरोपी व्यक्ति को अग्रिम जमानत के किसी भी प्रावधान को खारिज करता है। इसमें यह भी व्यवस्था है कि आपराधिक मामला दर्ज करने के लिए कोई प्रारंभिक जांच की जरूरत नहीं है। साथ ही इस कानून के तहत गिरफ्तारी के लिए किसी प्रकार की मंजूरी की जरूरत नहीं है।
दलित संगठन सरकार से उच्चतम न्यायालय के 20 मार्च के फैसले को पलटने की मांग कर रहे थे। उनका कहना था कि समाज के कमजोर तबके पर अत्याचार के खिलाफ इस कानून में आरोपी की गिरफ्तारी पर अतिरिक्त बचाव ने इस कानून को कमजोर और शक्तिहीन बना दिया है। भाजपा तथा राजग के सहयोगी दलों के अनेक दलित नेताओं ने भी उच्चतम न्यायालय के आदेश को पलटने के लिए आवशयक कदम उठाने की मांग का समर्थन किया था।
लोक जनशक्ति पार्टी के अध्यक्ष राम विलास पासवान ने विधेयक को ‘‘ऐतिहासिक’’ करार देते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में संशोधित विधेयक को मंजूरी दी गई और इसे संसद के इसी सत्र में पेश किए जाने की संभावना है।
राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) प्रमुख एवं केन्द्रीय मंत्री उपेन्द्र कुशवाहा ने कहा कि यह विधेयक प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की समाज के वंचित एवं शोषित वर्ग को न्याय दिलाने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। लोजपा प्रमुख के बेटे चिराग पासवान ने प्रधानमंत्री का शुक्रिया अदा किया। इससे पहले, उन्होंने कहा था कि उनकी पार्टी के कार्यकर्ता नौ अगस्त को दलित संगठनों के देशव्यापी प्रदर्शन में हिस्सा ले सकते हैं।
लोजपा और रालोसपा जैसी भाजपा की सहयोगी पार्टियां उच्चतम न्यायालय के 20 मार्च के आदेश को पलटने के लिए एक विधेयक लाने की मांग कर रही थी। भाजपा सांसद एवं दलित नेता उदित राज ने कहा कि कैबिनेट का फैसला स्वागत योग्य है।