केरल और पश्चिम बंगाल में लागू नहीं हो सकेगा CAA?, जानिए क्या है वजह

Tuesday, Mar 12, 2024 - 03:13 AM (IST)

नेशनल डेस्कः केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने आखिरकार अपना वादा निभाया। सोमवार शाम नागरिकता संशोधन कानून यानी सीएए करने का नोटिफिकेशन जारी कर दिया गया। इसके साथ ही अब नागरिकता संशोधन कानून पूरे देश में लागू हो गया। नागरिकता संशोधन बिल (CAB) दिसंबर 2019 में संसद के दोनों सदनों से पास हो गया था। करीब 4 साल तक चले संघर्ष के बाद सीएए लागू हो सका। 

अब पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में धार्मिक उत्पीड़न की वजह से भारत आए अल्पसंख्यकों को देश की नागरिकता मिल सकेगी। लेकिन, दो राज्यों केरल और पश्चिम बंगाल ने इसे लागू करने से नकार दिया। उनका कहना है कि अगर सीएए और एनआरसी के जरिए किसी की नागरिकता छीनी जाती है, तो हम इसे लागू होने नहीं देगें।  

क्या कहा सरकारों ने?
पश्चिम बंगाल की ममता सरकार ने सीएए को लागू करने से नकार दिया है। उनका कहना है कि नियम देखने के बाद ही आगे कुछ कह सकते हैं। अगर , धर्म, जाति और भाषा के आधार पर किसी के साथ भेदभाव होता है, तो हम इसे लागू होने नहीं देंगे। कड़ा विरोध करेंगे। उधर, केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने आवाज बुलंद कर कहा कि दिसंबर 2019 में ही विधानसभा में एक प्रस्ताव पास कर राज्य ने इस कानून को रद्द करने की मांग की थी। हम इसे लागू नहीं होने देंगे।

वहीं नागरिकता (संशोधन) अधिनियम (सीएए) 2019 पूर्वोत्तर राज्यों के अधिकांश जनजातीय क्षेत्रों में लागू नहीं किया जाएगा, जिनमें संविधान की छठी अनुसूची के तहत विशेष दर्जा प्राप्त क्षेत्र भी शामिल हैं। कानून के मुताबिक, इसे उन सभी पूर्वोत्तर राज्यों में लागू नहीं किया जाएगा जहां देश के अन्य हिस्सों में रहने वाले लोगों को यात्रा के लिए ‘इनर लाइन परमिट' (आईएलपी) की आवश्यकता होती है। आईएलपी अरुणाचल प्रदेश, नगालैंड, मिजोरम और मणिपुर में लागू है। अधिकारियों ने नियमों के हवाले से कहा कि जिन जनजातीय क्षेत्रों में संविधान की छठी अनुसूची के तहत स्वायत्त परिषदें बनाई गई हैं, उन्हें भी सीएए के दायरे से बाहर रखा गया है। असम, मेघालय और त्रिपुरा में ऐसी स्वायत्त परिषदें हैं।

Pardeep

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