बुड्ढा अमरनाथ यात्र की तैयारी तेज: मुस्लिम परिवार करते हैं मन्दिर की देखरेख

Friday, Jul 28, 2017 - 08:05 PM (IST)

जम्मू:  इन दिनों जम्मू में एतिहासिक अमरनाथ यात्रा चल रही है। जम्मू में भी एक अमरनाथ विराजमान हैं जी हां जम्मू में भी भगवान शिव से जुड़ा एक और तीर्थ स्थल है। जिसे बुड्ढा अमरनाथ के नाम से जाना जाता है। यह पवित्र स्थान जम्मू से 235 किमी दूर पुंछ जिले के राजापुर मंडी में स्थित है। बाबा बुड्ढा अमरनाथ जी के दर्शनों को आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में दिन प्रतिदिन बढ़ोतरी हो रही है। स्वामी चंद्र चुड़ मनी जी ने बुड्ढा अमरनाथ जी के एतिहासिक शिवलिंग को उजागर किया था। यहीं पर उन्होंने समाधि भी ले ली। उनकी समाधि अभी भी शिवलिंग से थोड़ी दूरी पर स्थित है।

ऐतिहासिक है बुड्डा अमरनाथ का मन्दिर
पाकिस्तानी क्षेत्र से तीन ओर से घिरी सीमावर्ती पुंछ घाटी के उत्तरी भाग में पुंछ कस्बे से 23 किमी की दूरी पर स्थित बुड्ढा अमरनाथ का मंदिर सांप्रदायिक सौहार्द की कथा भी सुनाता है जो इस क्षेत्र में है। वैसे यह भी कहा जाता है कि भगवान शिव ने कश्मीर में स्थित अमरनाथ की गुफा में माता पार्वती को जो अमरता की कथा सुनाई थी उसकी शुरुआत बुड्ढा अमरनाथ के स्थान से ही हुई थी
 
साम्प्रदायिक सौहार्द का प्रतीक है बुड्ढा अमरनाथ -
यह मान्यता है कि इस मंदिर के दर्शनों के बिना अमरनाथ की कथा ही नहीं, बल्कि अमरनाथ यात्रा भी अधूरी है। कितने आश्चर्य की बात है कि हिन्दुओं का धार्मिक स्थल होने के बावजूद इसके आसपास कोई हिन्दू घर नहीं है और इस मंदिर की देखभाल आसपास रहने वाले मुस्लिम परिवार तथा सीमा सुरक्षा बल के जवान ही करते हैं। सबसे खास बात ये है कभी इस स्थान तक पहुँचने के लिए किसी प्रकार की पैदल यात्रा नहीं करनी पड़ती है, और जिसके साथ ही कश्मीर का क्षेत्र तथा बहुत ही खूबसूरत लोरन घाटी लगती है। बुड्ढा अमरनाथ का मंदिर चकमक पत्थर से बना हुआ है। यह सभी अन्य शिव मंदिरों से पूरी तरह से भिन्न है। मंदिर की चारदीवारी पर लकड़ी के काम की नक्काशी की गई है जो सदियों पुरानी बताई जाती है। कहा जाता है कि भगवान शिव द्वारा सुनाई जाने वाली अमरता की कथा की शुरुआत भी यहीं से हुई थी। मंदिर के एक ओर लोरन दरिया भी बहता है जिसे पुलस्त्य दरिया भी कहा जाता है और उसका पानी बर्फ से भी अधिक ठंडक लिए रहता है।


पुंछ का नाम भी भी है ऐतिहासिक
पुंछ कस्बे का पहला नाम पुलस्त्य ही था। विभाजन से पहले यहाँ पाकिस्तान तथा पाक अधिकृत कश्मीर से आने वालों का ताँता भी लगा रहता था। बुड्ढा अमरनाथ पुंछ कस्बे से मात्र तीन किमी की दूरी पर ही है। जिस प्रकार कश्मीर में स्थित अमरनाथ गुफा में श्रावण पूर्णिमा के दिन मेला लगता है ठीक उसी तरह बुड्ढा अमरनाथ में प्रत्येक वर्ष एक विशाल मेला लगता है और अमरनाथ यात्रा की ही भांति यहां भी यात्रा की शुरुआत होती है और उसी प्रकार (छड़ी मुबारक) रवाना की जाती है।


छड़ी मुबारक
 त्रयोदशी के दिन पुंछ कस्बे के दशनामी अखाड़े से इस धर्मस्थल के लिए छड़ी मुबारक की यात्रा आरंभ होती है। पुलिस की टुकडिय़ां इस चांदी की पवित्र छड़ी को उसकी पूजा के उपरांत गार्ड ऑफ ऑनर देकर इसका आदर-सम्मान करती है और फिर अखाड़े के महंत द्वारा पुंछ से मंडी की ओर जुलूस के रूप में ले जाई जाती है। इस यात्रा में हजारों साधु तथा श्रद्धालु भी शामिल होते हैं, जो भगवान शिव के लिंग के दर्शन करने की इच्छा लिए होते हैं। हालांकि हजारों लोग पूर्णिमा से पहले भी सालभर लिंग के दर्शन करते रहते हैं।

 

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