बजट उम्मीदें: हैंड टूल इंडस्ट्री की डिमांड फ्रेट कॉरिडोर अमृतसर तक हो

punjabkesari.in Wednesday, Feb 24, 2016 - 02:23 PM (IST)

जालंधर: ‘पंजाब केसरी की बजट से उम्मीदें’ शृंखला में आज हम आपको हैंड टूल इंडस्ट्री की बजट 2016-17 से उम्मीदों के प्रति अवगत करवाएंगे। जालंधर स्पोटर्स गुड्स के साथ-साथ हैंड टूल का भी बड़ा केंद्र है। हमने जालंधर में कुछ हैंड टूल निर्यातकों और निर्माताओं से बात कर यह जानने की कोशिश की कि वह बजट से क्या चाहते हैं। 
 
एस.एम.ई. की लिमिट 25 करोड़ हो : सुखदेव राज 
 
एस.एम.ई. यानी स्माल एंड मीडियम एंटरप्रेन्योर की लिमिट 5 करोड़ रुपए तक है इसे बढ़ा कर 25 करोड़ रुपए करना चाहिए क्योंकि महंगाई के जमाने में 5 करोड़ की सीमा बहुत कम है। इसकी लिमिट बढऩी चाहिए इसके अलावा कैपिटल इन्वैस्टमैंट पर ब्याज दर कम करके 5 प्रतिशत होनी चाहिए।
 
क्योंकि विदेशों में निवेश पर इस से ज्यादा ब्याज दरें नहीं हैं। यह विदेश के बराबर लानी चाहिए। माल की ढुलाई के लिए कलकत्ता से लुधियाना तक बनाए जा रहे फ्रेट कॉरिडोर को अमृतसर तक बढ़ाया जाना चाहिए। 
 
उत्पाद शुल्क की छूट 5 करोड़ हो : करीम बख्श 
 
हैंड टूल इंडस्ट्री को 1.5 करोड़ रुपए तक उत्पादन शुल्क से छूट है। आज के महंगाई के जमाने में यह छूट बहुत कम है क्योंकि सामान महंगा हो रहा है। लिहाजा यह छूट बढ़ा कर कम से कम 5 करोड़ रुपए की जानी चाहिए ताकि हैंड टूल निर्माता बिना किसी परेशानी के काम कर सकें।
 
कागजी कार्रवाई कम हो : ज्योति प्रकाश 
 
परिवारों के मालिकाना हक वाली प्राइवेट लिमिटेड कम्पनियों के लिए कागजी कार्रवाई और कानूनी औपचारिकताएं बहुत ज्यादा हैं। इन औपचारिकताओं में फंसने के कारण उद्योगपति काम नहीं कर पा रहा।
 
जिन प्राइवेट लिमिटेड कम्पनियों का मालिकाना हक परिवारों के पास है उन्हें इस तरह की कागजी कार्रवाई से छुटकारा मिलना चाहिए। इसके अलावा डिविडैंड टैक्स की स्लैब को भी कार्पोरेट टैक्स की तरह सुधारना चाहिए और इस टैक्स में कमी करनी चाहिए। 
 
आयकर से छूट मिले: अनिल कुमार 
 
इन दिनों निर्यात गिर रहा है जिससे उद्योगपतियों को काफी नुक्सान हुआ है। सरकार को उद्योगपतियों को सहारा देने के लिए आयकर में छूट देनी चाहिए ताकि उन्हें कुछ राहत मिल सके। इसके अलावा सॢवस टैक्स पर छूट की सीमा 25 लाख रुपए तक बढ़ानी चाहिए। 
 
राज्यों का सहयोग लिया जाए : करण कुमार 
 
सरकार ने मेक इन इंडिया कार्यक्रम शुरू किया है लेकिन इसमें राज्यों को जोड़ कर उन्हें बजट दिया जाए ताकि राज्यों का इंडस्ट्री डिपार्टमैंट जमीनी स्तर पर इसे लागू कर सके। पंजाब में इंडस्ट्री विभाग को इस बारे में कुछ पता नहीं है और उद्योगपतियों को जागरूक करने के लिए राज्य सरकार भी इसमें लूप में होनी चाहिए। 

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