नहीं हैं दोनों हाथ, फिर भी हौंसलों से भरी सपनो की उड़ान!

Monday, Jul 18, 2016 - 05:50 PM (IST)

नई दिल्ली: कहते है कि सपनों अगर सच्चे मन से देखें जाए, तो उन्हें पूरा करने में भगवान भी आपका साथ देता है। बस इंसान को बुलंद हौसले के साथ उन्हें पूरा करने की कोशिश करते रहना चाहिए। इस कहावत को सच कर दिखाया है एक लड़की ने।

2 साल की उम्र में मीनू ने एक ट्रेन हादसे में अपने दोनों हाथ गंवा दिए थे। मीनू के हाथ गंवाने का सदमा उसके माता-पिता के लिए बहुत ही दर्दनाक था।  उनको उसकी चिंता थी कि उनकी बेटी की आगे की जिंदगी कटेगी। लेकिन मीनू किसी पर बोझ नहीं बनना चाहती है। वो अपने सपने पूरा करना चाहती है। जैसे-जैसे मीनू बड़ी होती गई, उसने अपनी दिव्यंगता को अपनी कमजोरी मानने के बजाय, इसके साथ जीना सिख लिया।

वह अपना हर काम खुद ही करती। चाहे वो साइकिल चलाना हो या पैरों से लिखना, कपड़े धोना, साफ-सफाई का काम वह हर काम खुद बखूबी करती है। हाथ न होने के बावजूद मीनू पढऩे-लिखने में हमेशा अव्वल रहती। वो 5वीं कक्षा में पढ़ती है और उसके माता-पिता मजदूरी का काम करते है। मीनू के पिता का कहना है कि वह अपनी बेटी को किसी से कम नहीं समझते। उनके लिए मीनू वैसी ही है जैसी की और आम लड़कियां।

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