बंबई HC की सख्त टिप्पणी - पत्नी कोई गुलाम या पुरुष की सम्पत्ति नहीं, जिसे मन चाहे पीटते रहो

Thursday, Feb 25, 2021 - 03:38 PM (IST)

नेशनल डेस्क: बंबई उच्च न्यायालय ने अपनी पत्नी पर जानलेवा हमला करने के मामले में 35 वर्षीय एक व्यक्ति की दोषसिद्धि बरकरार रखते हुए कहा कि पति के लिए चाय बनाने से इनकार करना पत्नी को पीटने के लिए उकसाने का कारण स्वीकार नहीं किया जा सकता। अदालत ने कहा कि पत्नी कोई गुलाम या कोई वस्तु नहीं है। 


पुरुष समझता है महिला उसकी ‘‘गुलाम'' है: कोर्ट 
न्यायमूर्ति रेवती मोहिते देरे ने इस महीने की शुरुआत में पारित आदेश में कहा कि विवाह समानता पर आधारित साझेदारी है'', लेकिन समाज में पितृसत्ता की अवधारणा अब भी कायम है और अब भी यह समझा जाता है कि महिला पुरुष की सम्पत्ति है, जिसकी वजह से पुरुष यह सोचने लगता है कि महिला उसकी ‘‘गुलाम'' है। अदालत ने कहा कि दम्पत्ति की छह वर्षीय बेटी का बयान भरोसा करने लायक है। अदालत ने 2016 में एक स्थानीय अदालत द्वारा संतोष अख्तर (35) को दी गई 10 साल की सजा बरकरार रखी।


पत्नी की हत्या करने वाले पति काे ठहराया गया दोषी 
अख्तर को गैर इरादतन हत्या का दोषी ठहराया गया है। आदेशानुसार, दिसंबर 2013 में अख्तर की पत्नी उसके लिए चाय बनाए बिना बाहर जाने की बात कर रही थी, जिसके बाद अख्तर ने हथौड़े से उसके सिर पर वार किया और वह गंभीर रूप से घायल हो गई। मामले की विस्तृत जानकारी और दम्पत्ति की बेटी के बयान के अनुसार, अख्तर ने इसके बाद घटनास्थल को साफ किया, अपनी पत्नी को नहलाया और उसे फिर से अस्पताल में भर्ती कराया। महिला की करीब एक सप्ताह अस्पताल में भर्ती रहने के बाद मौत हो गई। 


स्वयं को श्रेष्ठतर मानते हैं  पुरुष: कोर्ट 
बचाव पक्ष ने दलील दी कि अख्तर की पत्नी ने उसके लिए चाय बनाने से इनकार कर दिया था, जिसके कारण उकसावे में आकर उसने यह अपराध किया। अदालत ने यह तर्क स्वीकार करने से इनकार कर दिया। उसने कहा कि किसी भी तरह से यह बात स्वीकार नहीं की जा सकती कि महिला ने चाय बनाने से इनकार करके अपने पति को उकसाया, जिसके कारण उसने अपनी पत्नी पर जानलेवा हमला किया। अदालत ने कहा कि महिलाओं की सामाजिक स्थितियों के कारण वे स्वयं को अपने पतियों को सौंप देती हैं। उसने कहा, ‘‘इसलिए इस प्रकार के मामलों में पुरुष स्वयं को श्रेष्ठतर और अपनी पत्नियों को गुलाम समझने लगते हैं।

vasudha

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