भाजपा राज्यसभा में बनेगी सबसे बड़ी पार्टी, कांग्रेस लुढ़केगी 50 से नीचे

Monday, Dec 25, 2017 - 01:24 PM (IST)

नेशनल डैस्कः देश में 2019 में होने वाले आम चुनावों से पहले 2018 राजनीतिक रूप से काफी सक्रियता वाला साल रहने वाला है। अगले साल 8 राज्यों में विधानसभा चुनाव के अलावा राज्यसभा की 65 सीटों पर भी चुनाव होगा। पंजाब केसरी अपनी इस विशेष सीरीज ‘पॉलीटिक्स 2018’ में आपको रोजाना अगले साल होने वाली राजनीतिक घटनाओं के बारे में विश्लेषण के साथ पूरी जानकारी देता रहेगा। इसी सीरीज में सबसे पहले पंजाब केसरी के संवाददाता नरेश कुमार बता रहे हैं कि अगले साल होने वाले राज्यसभा चुनाव में कौन सी पार्टी फायदे में रहेगी और किसे नुक्सान होगा।

भाजपा को 10 का फायदा, कांग्रेस को 11 का नुक्सान आने वाला साल राज्यसभा में सीटों की संख्या के लिहाज से भाजपा के लिए अच्छा रहने वाला है। देश के अधिकतर राज्यों में भारतीय जनता पार्टी की सरकार है, जिसका उसे आने वाले साल में होने वाली 65 राज्यसभा सीटों के चुनाव में फायदा होगा।

अगले साल भाजपा के कुल 17 सदस्य रिटायर होंगे लेकिन विधानसभाओं की मौजूदा स्थिति के अनुसार भारतीय जनता पार्टी 27 सीटों पर जीत की स्थिति में है। इसके अलावा अगले साल रिटायर होने वाले 4 नामांकित सदस्य भी पार्टी द्वारा ही राज्यसभा में भेजे जाएंगे। इसका मतलब है कि भाजपा को कुल मिलाकर 14 सदस्यों का फायदा हो सकता है।

फिलहाल भाजपा राज्यसभा में 57 सीटों वाली पार्टी है और यदि पार्टी को 10 सीटों का फायदा होता है तो भाजपा 67 सीटों के साथ राज्यसभा में सबसे बड़ी पार्टी हो
जाएगी जबकि दूसरी तरफ कांग्रेस के 17 सदस्य अगले साल रिटायर होंगे लेकिन विभिन्न राज्यों की विधानसभाओं में पार्टी के पास इतने सदस्य नहीं हैं कि वह रिटायर होने वाले सारे सदस्यों को दोबारा राज्यसभा में भेज सके।

कांग्रेस  महज 6 सदस्यों को ही दोबारा राज्यसभा में भेज पाएगी और पार्टी को 11 सदस्यों का नुक्सान होगा। फिलहाल राज्यसभा में कांग्रेस और भाजपा दोनों  की 57 सीटें हैं। 11 सीटों के नुक्सान के बाद कांग्रेस 2018 में राज्यसभा के अंदर 50 से नीचे आ सकती है।

इस चुनाव के दौरान आम आदमी पार्टी का भी राज्यसभा में खाता खुल जाएगा। ‘आप’ की फिलहाल दिल्ली में सरकार है, लोकसभा में 4 सांसद हैं और पार्टी पंजाब विधानसभा में मुख्य विपक्षी दल की भूमिका में है लेकिन पार्टी के पास राज्यसभा में नुमाइंदगी के लिए कोई व्यक्ति नहीं है। 16 जनवरी को होने वाले दिल्ली की 3 सीटों के चुनाव में पार्टी को 3 सीटों का फायदा होगा। इसी चुनाव में समाजवादी पार्टी को तगड़ा झटका लगेगा।

पार्टी के पास फिलहाल राज्यसभा में 18 सीटें हैं लेकिन पिछले विधानसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में सपा को महज 47 सीटें मिली हैं जिसका उसे राज्यसभा चुनाव में नुक्सान होगा। पार्टी के 6 सदस्य रिटायर हो रहे हैं लेकिन अगले साल राज्यसभा चुनाव में पार्टी सिर्फ एक ही सीट जीत सकेगी।

क्या है राज्यसभा
 राज्यसभा संसद का ऊपरी सदन है और यह सदन कभी भंग नहीं होता। संविधान में राज्यसभा की व्यवस्था किसी भी आपातकाल से निपटने के लिए की गई है। यदि लोकसभा भंग हो गई है और चुनाव की घोषणा हो जाए तो ऐसे में राज्यसभा के पास फैसले लेने की ताकत मौजूद रहती है क्योंकि ये सदन हमेशा काम करता रहता है। इस सदन के गठन का मकसद राज्यों की आवाज संसद में उठाना भी है। सदन के दो-तिहाई सदस्यों के लिए हर दूसरे साल चुनाव होता है। इस सदन के सदस्यों की संख्या 250 है लेकिन मौजूदा समय में इस सदन में 245 सदस्य हैं। इनमें से 233 सदस्यों का चयन विभिन्न राज्यों के विधानसभा सदस्यों द्वारा किया जाता है जबकि 12 सदस्य राष्ट्रपति द्वारा नामांकित किए जाते हैं।

सदस्यों का चुनाव विधानसभा के सदस्य करते हैं और इसके लिए तय संख्या में वोटरों की जरूरत होती है। ये वोटर राज्य विधानसभा के सदस्य होते हैं और राज्यसभा के चुनाव के समय विधानसभा में जिस पार्टी की स्थिति मजबूत होती है उसी पार्टी के ज्यादा राज्यसभा सांसद चुन कर आते हैं।

इस फार्मूले से होता है चुनाव
अगले साल उत्तर प्रदेश में होने वाली 9 सीटों के चयन को आधार बनाकर हम अपने पाठकों को राज्यसभा के चुनाव का फार्मूला बताने जा रहे हैं। उत्तर प्रदेश में विधानसभा सदस्यों की संख्या 403 है और 9 सीटों के लिए चुनाव होना है तो इसके लिए 403/(9+1) का फार्मूला लगेगा। यानी कि एक सदस्य चुनने के लिए किसी भी पार्टी को 41 विधायकों की जरूरत होगी। यह फार्मूला हर राज्य की विधानसभा सीटों और उस राज्य में होने वाली राज्यसभा की सीटों की संख्या पर निर्भर करेगा। मौजूदा समय में भाजपा के पास उत्तर प्रदेश में 312 सीटें हैं और यदि भाजपा 16 सीटों का और जुगाड़ कर लेती है तो वह राज्यसभा की 8 सीटें जीत सकती है।

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