कैराना उपचुनाव: क्यों BJP को करना पड़ा हार का सामना, 2019 में उठाना पड़ सकता है खामियाजा

Friday, Jun 01, 2018 - 01:28 PM (IST)

नई दिल्ली: बीजेपी को कल कैराना समेत 11 राज्यों की चार लोकसभा और 10 विधानसभा उपचुनाव के नतीजों में हार का सामना करना पड़ा। जहां संयुक्त विपक्षी दलों ने इस साल उत्तर प्रदेश में तीसरी लोकसभा सीट जीती। बीजेपी इस साल यूपी की 3 लोकसभा सीटें फुलपूर, गोरखपुर और अब कैराना पर हार चुकी है। इससे विपक्षी दलों में 2019 के लोकसभा चुनावों के लिए एकता की नई लहर उठी है। कांग्रेस ने उपचुनावों के परिणामों को मोदी सरकार के चार वर्षों के खिलाफ और भाजपा साम्राज्य के 'अंत की शुरुआत' को लोगों के जनादेश का परिणाम बताया। जबकि समाजवादी पार्टी ने कहा कि लोग बीजेपी को उचित जवाब दे रहे हैं।

विपक्ष ऐसे हुआ कामयाब
कैराना लोकसभा सीट पर सपा ने रालोद के टिकट पर मुस्लिम उम्मीदवार को उतारकर जाट और मुस्लिम दोनों ही वर्गों के वोट को हासिल किया। उत्तर-प्रदेश में आम चुनावों से पूर्व जाट-मुस्लिम दंगों के बाद सपा का ये फैसला बीजेपी को भारी पड़ गया। कैराना उपचुनाव में एसपी, बीएसपी, आरएलडी और कांग्रेस महागठबंधन का सामना बीजेपी से था। इस जीत से ये नजर आया कि पश्चिमी यूपी में अखिलेश की पहल के बाद जाट और मुसलमानों के बीच आई दूरी अब घटने लगी है। जो विपक्ष की नई रणनीति के रूप में सामने आई और 2019 के आम चुनावों में बीजेपी की फिक्र का कारण बन रहा है।

बीजेपी को इसलिए मिली हार
कैराना नूरपुर उपचुनावों के मतदान से एक दिन पहले प्रधामनंत्री मोदी की बागपत में जनसभा थी, जिससे ये अंदाजा लगाया जा रहा था कि इसका असर चुनाव पर पड़ेगा, लेकिन वहीं कुछ दूरी पर बड़ौत में किसानों का धरना चल रहा था, जहां एक किसान की मौत भी हुई। लेकिन जनसभा में दिए गए भाषण का एक भी लफ्ज किसानों को तसल्ली देने वाला न रहा, जिससे बीजेपी को निराशा हासिल हुई।

2019 पर पड़ेगा असर
वहीं ये बात 2019 चुनाव में बीजेपी के सीख भी साबित हो सकती है, क्योंकि ये देखा जा रहा है कि किस तरह मोदी सरकार से अन्नदाताओं से लेकर मिडिल क्लास वर्ग तक की निराशाएं बढ़ती जा रही हैं। बीजेपी इस साल यूपी की 3 लोकसभा सीटें फुलपूर गोरखपुर और अब कैराना पर हार चुकी है। 11 राज्यों की चार लोकसभा और 10 विधानसभा सीटों में विपक्षी दलों ने 11 सीटों पर जीत हासिल की, भाजपा और उसके सहयोगियों को सिर्फ 3 सीटें हासिल हुई हैं। जो ये संकेत दे रही हैं कि महागठबंधन से सामने पीएम मोदी का जादू फीका पड़ता नजर आ रहा है।

Anil dev

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