रामपुर में आसान नहीं जयाप्रदा की राह, आजम के साथ है 36 का आंकड़ा

Wednesday, Mar 27, 2019 - 08:42 AM (IST)

नई दिल्ली: भाजपा में शामिल हुई जयाप्रदा की राह रामपुर सीट पर इस चुनाव के दौरान आसान नहीं होगी। 2014 के लोकसभा चुनाव में यह सीट भाजपा के खाते में गई थी। पिछली बार सपा और बसपा के वोट मिलाकर भाजपा के कुल वोट 358616 से कहीं ज्यादा थे। सपा को इस सीट पर 335181 जबकि बसपा को 81006 वोट हासिल हुए थे। कांग्रेस को इस सीट पर पिछले 3 चुनावों में डेढ़ लाख से ज्यादा वोट मिल रहे हैं। पिछली बार भाजपा को मुस्लिम मतों के विभाजन के चलते इस सीट पर जीत हासिल हुई थी लेकिन इस बार अपनी छवि और 10 साल दौरान किए गए काम को लेकर जया को जनता का सामना करना होगा क्योंकि बसपा और सपा के वोट सफलतापूर्वक एक-दूसरे को ट्रांसफर हो गए तो रामपुर में जया के लिए मुश्किल हो सकती है।\




रामपुर में 50 फीसदी से भी ज्यादा मुस्लिम आबादी
रामपुर उत्तर प्रदेश में उन लोकसभा सीटों में शामिल है जहां पर मुस्लिम समुदाय बहुसंख्यक है। 2011 की जनगणना के अनुसार पश्चिमी उत्तर प्रदेश में पडऩे वाले रामपुर क्षेत्र में कुल 50.57 प्रतिशत मुस्लिम आबादी है जबकि 45.97 प्रतिशत ङ्क्षहदू जनसंख्या है। इस क्षेत्र को सपा के दिग्गज नेता आजम खान का गढ़ माना जाता है। हालांकि 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के नेपाल सिंह ने सबको चौंकाते हुए जीत दर्ज की थी लेकिन उन्हें यह जीत मोदी लहर में मिली थी। 2014 में हुए चुनाव में भाजपा और सपा के बीच कांटे की टक्कर देखने को मिली थी। चुनाव में भाजपा के नेपाल सिंह को 37.5 फीसदी और समाजवादी पार्टी के नसीर अहमद खान को 35 फीसदी वोट मिले थे। नेपाल सिंह की इस अप्रत्याशित जीत के कारण इतिहास में पहली बार किसी लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश से एक भी मुस्लिम सांसद नहीं चुना जा सका। 



आजम के साथ 36 का आंकड़ा 
आजम खान के साथ जयाप्रदा का 36 का आंकड़ा है। जया ने आजम खान पर तेजाब हमला करवाने का गंभीर आरोप लगाया था। इतना ही नहीं, फिल्म ‘पद्मावत’ देखने के बाद उन्होंने कहा था, ‘‘मैं जब ‘पद्मावत’ देख रही थी तो खिलजी के किरदार ने मुझे आजम खान की याद दिला दी। मैं सोच रही थी कि जब मैं रामपुर से चुनाव लड़ रही थी तब उस शख्स ने किस तरह से मुझे प्रताडि़त किया था।’’ 


 

‘नौलखा मंगाने’ से रामपुर जीतने तक
मुझे नौलखा मंगवा दे रे...गाने से रूपहले पर्दे पर आग लगाने वाली मशहूर अदाकारा जयाप्रदा ने तेलगू देशम पार्टी से अपने राजनीतिक सफर की शुरूआत की थी। 14 वर्ष की उम्र में फिल्मों में कदम रखने वाली जयाप्रदा ने अपने 30 साल के करियर में तकरीबन 300 फिल्मों में काम किया है जिसमें तमिल, तेलगू और ङ्क्षहदी फिल्में शामिल हैं। तेलगू देशम पार्टी में उनका अनुभव खास अच्छा नहीं रहा और उन्होंने पार्टी छोड़ दी और चंद्रबाबू नायडू के दल में शामिल हो गईं जिसका फायदा उन्हें मिला और वह सन् 1996 में आंध्र प्रदेश से राज्यसभा पहुंचीं। 

तेदेपा छोड़कर सपा का दामन थामा लेकिन यहां भी उन्हें खट्टे अनुभव मिले। उनके और पार्टी प्रमुख चंद्रबाबू नायडू के बीच बनी नहीं जिस कारण जया ने तेदेपा छोड़ दी और समाजवादी पार्टी ज्वाइन कर ली। बस यहीं से जया के सियासी सफर का बड़ा अध्याय शुरू हुआ जिसने यू.पी. से लेकर दिल्ली तक हड़कम्प मचा दिया। जयाप्रदा को सपा में लाने वाले थे उनके अजीज दोस्त अमर सिंह जो उस वक्त सपा मुखिया मुलायम सिंह के काफी करीबी और पार्टी में नंबर-2 की हैसियत रखते थे। अमर सिंह ने मुलायम से कहकर जयाप्रदा को रामपुर से चुनाव लड़वाने को कहा जो कि पार्टी के कद्दावर नेता आजम खान को अच्छा नहीं लगा और यहीं से विरोध व जहरीली सियासत की नई पारी आरंभ हुई।


11 मई, 2009 को जयाप्रदा ने आरोप लगाया कि समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता आजम खान ने किसी की नग्न तस्वीरों को उनके नाम पर रामपुर में बांटा है और उन्हें ‘नाचने वाली’ कहकर अपमान किया है। जयाप्रदा बनाम आजम खान की लड़ाई उस वक्त राजनीतिक गलियारों का हॉट टॉपिक हुआ करती थी, जिसकी टीस आज भी दोनों के अंदर है। जया ने रामपुर से 2 बार चुनाव जीता है। अखिलेश यादव ने सपा पार्टी का मुखिया बनने के बाद अमर सिंह और जयाप्रदा को पार्टी से निकाल दिया और इसके बाद जयाप्रदा अमर सिंह के साथ राष्ट्रीय लोकदल में शामिल हो गई थीं। 

अमर सिंह को मानती हैं ‘गॉडफादर’
जयाप्रदा अमर सिंह को अपना ‘गॉडफादर’ मानती हैं। हालांकि जयाप्रदा ने कहा था कि अगर वह अमर सिंह को राखी भी बांध दें तब भी लोग उनके बारे में बातें बनाना बंद नहीं करेंगे। 

Anil dev

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