दक्षिण की 129 सीटों पर स्ट्राइक रेट बढ़ाने में जुटी भाजपा, पार्टी को पहले से ज्यादा सीटों की उम्मीद

punjabkesari.in Tuesday, Mar 19, 2024 - 09:26 AM (IST)

नेशनल डेस्क: भाजपा लोकसभा चुनाव में बार-बार एन.डी.ए. गठबंधन को 400 से ज्यादा सीटें मिलने का का नारा दे रही है, जबकि भाजपा ने अकेले 370 सीटों पर काबिज होने का लक्ष्य रखा है। जानकारों की मानें तो यह तभी संभव है जब भाजपा दक्षिण भारत के 5 राज्यों केरल, तमिलनाडु, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना की 129 सीटों पर अपना स्ट्राइक रेट बढ़ाती है। हालांकि वर्तमान में इन सीटों पर भाजपा की स्थिति संतोषजनक नहीं है, यही वजह है कि पी.एम. नरेंद्र मोदी लगातार दक्षिण भारत में रैलियां और रोड शो कर रहे हैं। भाजपा ने अपनी पूरी ताकत इस बार दक्षिण भारत में झोंक दी है और पार्टी को इस बार उम्मीद है कि कम से कम पहले से ज्यादा सीटें उसे दक्षिण भारत से मिल ही जाएंगी।

इसलिए महत्वपूर्ण हैं 129 सीटें
पी.एम. मोदी और भाजपा के लिए ये 129 सीटें इसलिए भी महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि अगर उन्हें विपक्ष को पूरी तरह से परास्त करना है तो दक्षिण भारत में बड़ी जीत दर्ज करनी होगी। यहां उल्लेखनीय यह भी हे कि दक्षिण के दो राज्यों कर्नाटक और तेलंगाना में कांग्रेस ने विधानसभा चुनावों भारी बहुमत से जीत हासिल की है। राजनीतिक पंडितों का यह भी मानना है कि बीते लोकसभा चुनावों में भाजपा  उत्तर भारत में खासकर उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान जैसे राज्यों में बेहतर प्रदर्शन कर चुकी है और पिछली बार से ज्यादा सीटें बढ़ने की संभावनाएं इन राज्यों में कम होती दिख रही हैं। इसलिए प्रचंड जीत हासिल करने के लिए भाजपा का ज्यादा फोकस दक्षिण भारत पर है।

2019 में सिर्फ दो राज्यों में सीटें जीती थी भाजपा
बीते चुनावों की बात करें तो कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में से सिर्फ दो राज्य ऐसे हैं जहां पिछले चुनाव भाजपा ने सीटें जीती थीं। इनमें भाजपा ने कर्नाटक में 25 और तेलंगाना में चार सीटें जीती थीं। बाकी तीन राज्यों में उसका खाता भी नहीं खुल पाया था। इसके बावजूद दक्षिणी राज्यों की सबसे ज्यादा सीटें भाजपा के पास हैं। दक्षिण की शेष 100 सीटों पर भाजपा ने पिछले पांच सालों में काफी काम किया है और उसे इनमें से कुछ सीटें जीतने की उम्मीद है।

भाजपा इस बार केरल, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश में खाता खोलने की उम्मीद लगाए हुए है। वहीं तमिलनाडु में पिछली बार प्रोग्रेसिव सेक्युलर गठबंधन ने अच्छा प्रदर्शन किया था। डी.एम.के. के नेतृत्व में इस गठबंधन में कांग्रेस एवं वामदल शामिल थे। उसने 39 में से 38 सीटें जीती। यह गठबंधन इस बार भी है और उसे अपने प्रदर्शन को दोहराने की उम्मीद है।

भाजपा को करनी पड़ रही है कड़ी मशक्कत
भाजपा दक्षिण के इन पांच राज्यों में कड़ी मशक्कत कर रही है। केरल में भाजपा को वोटिंग प्रतिशत भले ही बढ़ा हो लेकिन पिछले 3 लोकसभा चुनाव में एन.डी.ए. को एक भी सीट नहीं मिली है। तमिलनाडु में भाजपा अपनी सहयोगी पार्टी अखिल भारतीय अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम या ए.आई.ए.डी.एम.के. से अलग होने के बाद अलग-थलग पड़ गई है। वहीं तेलंगाना में 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने 4 सीटें जीती थीं, लेकिन विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की बड़ी जीत मिलने के बाद यहां भाजपा राहें आसान नजर नहीं आ रही हैं।

कर्नाटक में भाजपा विधानसभा चुनाव में अपनी सत्ता खो चुकी है, और उसे दोबारा से 25 सीटों को यथावत बनाए रखना एक बड़ी चुनौती है। आंध्र प्रदेश में भी भाजपा अपनी जमीन को मजबूत करने में लगी हुई है और तेलगु देशम पार्टी से गठबंधन के बाद उसे उम्मीद है कि कुछ सीटें उसे यहां से मिल जाएंगी। 


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Content Editor

Mahima

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