ऑफ द रिकॉर्डः महाराष्ट्र गंवाने के बाद प्रदेश मामलों की भाजपा प्रभारी सरोज पांडेय की वापसी

Wednesday, Dec 04, 2019 - 05:28 AM (IST)

नेशनल डेस्कः भाजपा के कामकाज के तरीके को लेकर सवाल उठने लगे हैं। इसका ताजा उदाहरण महाराष्ट्र में देखने को मिला है जहां राज्यसभा सांसद, भाजपा महासचिव व महाराष्ट्र मामलों की प्रभारी सरोज पांडेय को चुनावों से पहले पार्टी ने पूरी तरह से दरकिनार किया। इस दौरान सरोज पांडेय से उम्मीदवारों के चयन व संबंधित मुद्दों में से किसी पर भी परामर्श नहीं किया गया था। 

उन्होंने चुनाव से एक माह पहले रिपोर्ट पेश की थी। इसमें कहा गया था कि भाजपा को शिवसेना से गठबंधन नहीं करना चाहिए और पार्टी को अकेले चुनाव लडऩा चाहिए। उनकी रिपोर्ट ने पार्टी नेताओं को चौंका दिया था। हालांकि इस मामले पर उच्चतम स्तर पर चर्चा हुई और भाजपा प्रमुख अमित शाह ने अन्य राज्य के नेताओं से व्यक्तिगत रूप से परामर्श किया। इसके बाद राज्य के नेताओं के बहुमत ने महसूस किया कि इसका कोई मतलब नहीं है कि शिवसेना के साथ गठबंधन आगे बढ़ेगा।

उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव के बाद शिवसेना भाजपा पर तीखे हमले कर रही है और शिवसेना का आचरण अच्छे सहयोगी का नहीं है लेकिन आर.एस.एस. चाहता था कि सेना पर भरोसा किया जाए। वहीं महाराष्ट्र के सी.एम. देवेंद्र फडऩवीस शिवसेना के साथ गठबंधन करने पर आमादा थे, उन्होंने दावा किया था कि शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के साथ उनके अच्छे संबंध हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री को आश्वस्त किया कि शिवसेना पर भरोसा किया जाना चाहिए और सरोज पांडेय पार्टी को गुमराह कर रहे हैं। 

फडऩवीस ने व्यक्तिगत रूप से शिवसेना के साथ गठबंधन किया और ऐसा लगा कि सब ठीक है। अमित शाह ने महाराष्ट्र मामलों के लिए पार्टी में उनके सबसे भरोसेमंद महासचिव भूपेंद्र यादव को नियुक्त करने का फैसला किया और सरोज पांडे को पूरी तरह से दरकिनार कर दिया गया। भूपेंद्र यादव ने यह कहते हुए गुलाबी तस्वीर खिंचवाई कि भाजपा 156 में से 135 सीटों पर अपने दम पर जीतेगी। नतीजे सामने आने के बाद शिवसेना ने वही किया जो सरोज पांडेय ने पार्टी को चुनाव से पहले जानकारी दी थी। शिवसेना ने भाजपा को अकेला छोड़ दिया। वहीं हाईकमान ने अब दोबारा महाराष्ट्र गंवाने के बाद सरोज पांडे को फिर से महाराष्ट्र मामलों की देख-रेख करने के लिए कहा है।

Pardeep

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