बिहारः हिंदी साहित्य के बड़े आलोचक रहे, खगेंद्र ठाकुर ने पटना में ली अंतिम सांस

punjabkesari.in Monday, Jan 13, 2020 - 11:03 PM (IST)

नेशनल डेस्कः हिंदी साहित्य जगत का बड़ा नाम रहे साहित्यकार व आलोचक प्रो खगेंद्र ठाकुर का निधन हो गया है। सोमवार को पटना के एम्स अस्पताल में  इलाज के दौरान प्रो खगेंद्र ने अंतिम सास ली। सांस की तकलीफ के बाद उन्हें एम्स में भर्ती कराया गयाथा। इसी दौरान उन्हें हार्ट अटैक आया और उनकी मौत हो गई। वे 83 वर्ष के थे। पिछले दो-तीन दिन से बीमार चल रहे थे। सोमवार को परिवार वालों ने उन्हें एम्स में भर्ती कराया, जहां दोपहर डेढ़ बजे उन्होंने अंतिम सांस ली। 

खगेंद्र ठाकुर के इकलौते पुत्र अमितांशु भास्कर ने बताया कि मंगलवार को सुबह 10 बजे इनका पार्थिव शरीर अदालतगंज स्थित जनशक्ति भवन में रखा जाएगा, जहां लोग अंतिम दर्शन करेंगे। इसके बाद 11 बजे बांस घाट पर इनका अंतिम संस्कार किया जाएगा। प्रो. खगेंद्र ठाकुर की गिनती देश के बड़े आलोचक और साहित्यकार के रूप में होती रही। अखिल भारतीय प्रगतिशील लेखक संघ (प्रलेस) के वे लंबे समय तक राष्ट्रीय महासचिव भी रहे। साहित्य के साथ-साथ ये वामपंथी आंदोलन से भी जुड़े थे। ये सीपीआई के नेता भी थे और शिक्षक आंदोलन में सक्रिय थे।

प्रो. खगेंद्र का जन्म गोड्डा जिले (झारखंड) के मालिनी गांव में नौ सितंबर 1937 को हुआ था। ये भागलपुर विवि के मोरारका कॉलेज सुल्तानगंज में हिंदी के प्राध्यापक रहे और लेखकीय व्यस्तता और पार्टी के कार्यों के कारण वीआरएस ले ली थी। इन्होने आलोचना के बहाने, कविता का वर्तमान, छायावादी काव्य की भाषा का विवेचन, समय, समाज और मनुष्य, आज का वैचारिक संघर्ष और मार्क्सवाद सहित दर्जनभर से अधिक पुस्तकें लिखी थी। इनके निधन से साहित्य जगत में शोक की लहर है। प्रो. खगेंद्र की मार्क्सवाद में खासी रूची थी, जिसकी झलक उनकी रचनाओं में भी दिखाई देती है।


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Edited By

Ashish panwar

Recommended News

Related News