बिहार: इस शाहजहां ने बेगम की याद में बनवाया ''ताजमहल''

Sunday, Feb 12, 2017 - 03:45 PM (IST)

भागलपुर : वैलेंटाइन वीक में मुगल बादशाह शाहजहां और मुमताज की मोहब्बत के बारे में सभी याद करते हैं, लेकिन बिहार के भागलपुर का एक ऐसा ही किस्सा शायद ही आप जानते होंगे। यहां के डाक्टर नजीर आलम अपनी बेगम हुस्न बानों से बेइंतहा मोहब्बत की मिसाल पेश कर रहे हैं। डा. नजीर ने अपने घर के सामने बेगम का मकबरा बनवाया है। साथ ही इस मकबरे के बगल में खुद को दफन करने के लिए भी जगह छोड़ दी ह। वे कहते हैं यही जगह उनकी लव स्टोरी का ताजमहल कहलाएगा।

हज के दौरान मकबरा बनाने का किया वादा
डा. नजीर 4 साल पहले बेगम के साथ हज पर गए थे। वहां दोनों ने एक दूसरे को वचन दिया कि उनमें से जिसकी भी पहले मौत होगी वह अपने घर के आगे मकबरा बनवाएगा। साल 2015 में हुस्न बानो इस दुनिया से चल बसीं। नजीर साहब इस सदमें से काफी आहत हुए। हालांकि दुख की इस घड़ी में भी बेगम से किया वादा नहीं भूले और घर के आगे मकबरा बनाने का फैसला लिया।

मकबरे में लगा दी जिंदगी भर की कमाई
डॉक्टर नजीर ने बताया कि उनके पास जितनी भी जमा पूंजी थी, उसे उन्होंने मकबरे के निर्माण में लगा दिया। करीब 35 लाख रुपए से हुस्न बानो का मकबरा बनकर तैयार हो गया है, लेकिन इससे नजीर की आर्थिक हालत बेहद खराब हो गई है। नजीर ने बताया कि पत्नी की याद में मकबरा बनाने के बाद अब 18 मार्च, 2017 को मदरसे की शुरुआत की जाएगी। मदरसे में सिर्फ लड़कियों की पढ़ाई होगी। पढ़ाई डिजिटल तरीके से कराई जाएगी। नजीर ने बताया कि जब शाम को मकबरे पर रोशनी होती है तो वे इसे देखकर सुख का अनुभव करते हैं। अब वे बस उस दिन के इंतजार में हैं जब उनकी मौत होगी और वे बेगम के बगल में दफनाए जाएंगे।

यूपी में भी हैं आज के ‘शाहजहा’
बुलंदशहर के कसेरकलां गांव निवासी सेवानिवृत्त पोस्टमास्टर कादरी ने अपनी बीवी की याद में ताजमहल का ढांचा बनवाया है, जिसके निर्माण में वह सेवानिवृत्ति के बाद मिली पूरी धनराशि के साथ-साथ जमीन बेचने से मिली रकम भी लगा चुके हैं। कुल मिलाकर मुहब्बत के इस मुजस्सिमे पर अब तक लगभग 17 लाख रुपए खर्च हो चुके हैं लेकिन उसे अंतिम रूप दिया जाना अभी बाकी है। कादरी के पास अब यह काम करा पाने के लिए रकम भी नहीं है।

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