Exclusive: अपनी इस बड़ी गलती पर पछता रहे हैं लालू!

Wednesday, Jul 19, 2017 - 05:20 PM (IST)

नई दिल्ली: बिहार में चल रही सियासी उठा पटक के बीच लालू प्रसाद यादव को अपने एक सियासी फैसले पर पछतावा हो रहा है। हालांकि जिस वक्त उन्होंने ये फैसला लिया उस वक्त बिहार की राजनीतिक स्थितियां बिल्कुल अलग थीं लेकिन अब बदले हालातों में लालू के करीबी भी बोल रहे हैं कि काश राजद सुप्रीमो ने उस वक्त फैसला लेते समय थोड़ी सियासी समझ दिखाई होती। ये फैसला है अपने दोनों बेटों को कैबिनेट में शामिल करने और उनमें से एक बेटे को उप मुख्यमंत्री बनाने का। उस वक्त लालू को लगा कि एक बेटे को मुख्यमंत्री बनाकर और दूसरे को कैबिनेट में रखकर पूरी पकड़ बनाई जा सकती है। सत्ता पर पकड़ के लिहाज से ये फैसला सही भी हो सकता है लेकिन सदन के अंदर की गणित को अपने मुताबिक चलाने के लिए विधानसभा में लालू की पार्टी का स्पीकर होना भी जरुरी था। आज यदि विधानसभा में स्पीकर राजद का होता तो लालू पूरी सियासी बाजी पलट सकते थे। 

क्या होता अगर स्पीकर अपना होता
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा भाजपा के प्रति सदभाव दिखाए जाने के बाद जदयू के मुस्लिम वोट और यादव विधायक नीतीश से नाराज बताए जा रहे हैं। ऐसे विधायकों की संख्या करीब डेढ़ दर्जन है। यदि लालू की पार्टी का स्पीकर होता तो वह नीतीश की दबाव की राजनीति को सहन नहीं करते और जदयू को तोड़कर स्पीकर के माध्यम से नीतीश की पार्टी के बिना भी बिहार में सरकार का गठन कर सकते थे। बिहार विधानसभा में लालू की पार्टी के पास 80 विधायक हैं जबकि कांग्रेस के पास 27 विधायक हैं। बिहार विधानसभा में बहुमत साबित करने के लिए 122 विधायकों की जरुरत है। ऐसी स्थिती में जदयू के 15 विधायक पार्टी लाइन से हटकर लालू का समर्थन कर देते तो नीतीश के बिना बिहार में सरकार बन जाती, लेकिन अब ऐसा होने की संभावना नहीं है। 

 

बिहार विधानसभा में दलीय स्थिति 

राजद  80 सीटें 
जदयू    71 

भाजपा
53 
कांग्रेस  27 
अन्य   12 


हालांकि अपना स्पीकर होने की स्थिती में भी ये मामला इतना आसान नहीं था क्योंकि जदयू के विधायक ऐसी स्थिती मेें दल बदल विरोधी कानून के दायरे में आ जाते लेकिन ऐसी स्थिती में भी फैसला काफी हद तक स्पीकर के हाथ में रहता है। हालांकि बिहार में भाजपा द्वारा नियुक्त किए गए राज्यपाल इस मामले में संवैधानिक रुकावट खड़ी कर सकते थे लेकिन कुल मिलाकर लालू के सामने नीतीश का मुकाबला करने के लिए एक विकल्प मौजूद रहता।


 

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