नहीं थम रही ट्रंप विरोधी लहर

Friday, Jul 22, 2016 - 03:15 PM (IST)

क्लीवलैंड की कन्वेन्शन में पर्याप्त समर्थन मिलने के बाद भले रिपब्ल्किन उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप को पार्टी ने उम्मीदवार घोषित कर दिया हो, लेकिन बाहर सड़कों पर उनके विरोध की जो लहर देखी गई उससे जाहिर है कि वह लोकप्रिय जननायक नहीं बन पाए हैं। लोगों ने बकायदा ट्रंप पर प्रतिबंध लगाने के नारे लगाए हैं। राष्ट्रीय राजनीति में ट्रंप के उभरने को लोग अभी से खतरा मानने लगे हैं तो उनके राष्ट्रपति चुने पर क्या होगा ? ऐसे प्रदर्शन उनकी दावेदारी को कमजोर कर सकते हैं।

विरोधी रुख का नतीजा\
लगातार हो रहे विरोध के लिए कौन से कारण जिम्मेवार माने जा सकते हैं। पहला, उनका मुस्लिम विरोधी रुख अख्तियार करना। अपने ज्यादातर भाषणों में ट्रंप ने मुस्लिम समुदाय के खिलाफ आग उगली है। समझ में नहीं आता कि जब वे वर्षों से वहां बसे हुए हैं और नागरिक बन चुके हैं अब उनसे खतरा कैसा ? इससे इंकार नहीं किया जा सकता कि कुछ लोग गुमराह हो सकते हैं, लेकिन समझा कर उन्हें भी मुख्यधारा से जोड़ा जा सकता है। देश के कई हिस्सों से आए लोगों ने जिस प्रकार ट्रंप की मुस्लिम विरोधी भावनाओं का विरोध किया है वह आगे भी जारी रह सकता है।

असुरक्षित महसूस करते हैं
हालांकि अफ्रीकी-अमेरिकियों, मानवाधिकार समूहों और मुस्लिम संगठनों के प्रतिनिधि समूहों ने शांतिपूर्वक रैलियों का आयोजन किया, लेकिन उन्होंने बता दिया कि देश में ट्रंप विरोधी लहर थमी नहीं है। रैलियों में सैकड़ों लोग शामिल हुए। वे बता रहे थे कि सभी ट्रंप की नीतियों के विरोधी हैं। कुछ का कहना था कि ट्रंप देश का नाम खराब करेंगे। वे स्वयं असुरक्षित महसूस करने लगे हैं। 

बम रखने की धमकी
फ्लोरिडा में भी मुस्लिम समर्थक समूहों में ट्रंप के प्रति भारी नाराजगी देखी जा रही है। वहां एक इस्लामिक समुदायिक केंद्र को नवंबर में होने वाले चुनाव से संबंधित केंद्र बनाए जाने के विरोध में लोगों ने कानूनी कार्रवाई करने का मन बनाया है। कई लोग मानते है कि वहां जाकर वोट देने में उन्हें असहजता महसूस होगी। कई वोटरों ने इसके खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है। यहां तक फोन करके चुनाव प्रक्रिया में बाधा डालने और बम रखने की धमकी भी दी गई है।

कन्वेन्शन स्थल पर महिला ने हंगामा मचाया
क्लीवलैंड की कन्वेन्शन के दौरान एक प्रदर्शनकारी महिला अंदर घुसने में कामयाब हो गईं। यह थीं मेडेस बेंजामिन। वह कोड पिंक नामक संगठन चलाती हैं। वह अपने साथ बैनर लेकर गईं थीं कि दीवारें नहीं, पुल बनाओ। इस दिलेर महिला को नियंत्रित करने में सुरक्षा गार्डों को दिक्कत आई। इस महिला को देखकर ट्रंप भी हैरान थे, उन्होंने बीच में अपना भाषण रोक दिया। मगर अपने समर्थकों से उन्हें चुप कराने के लिए नहीं कहा। जब पुलिस बेंजामिन को बाहर ले गई तो वह कह रही थीं कि ट्रंप अमरीका के लिए खतरा हैं। बता दें कि वर्ष 2003 में जब अमरीका ने इराक के मामलों मे हस्तक्षेप किया था उसके विरोध में यह संगठन बनाया गया था। उन्होंने न्यूयार्क में जॉर्ज डब्ल्यू बुश द्वारा अपने नामांकन के लिए दिए जा रहे भाषण में भी इसी प्रकार रुकावट पैदा की थी।

बयानों की निंदा
इससे पहले न्यूयॉर्क शहर में मुसलमानों की हिमायत में एक रैली निकाली जा चुकी है। इसमें ट्रंप के मुस्लिम विरोधी बयानों की जमकर कर निंदा की गई थी। ट्रंप ने कहा था कि अमरीका में चरमपंथी हमले रोकने के लिए मुसलमानों के देश में प्रवेश पर रोक लगाना ज़रूरी है। इस बयान के बाद अमरीका में मचा बवाल थमने का नाम नहीं ले रहा है। ट्रंप के अपने शहर न्यूयॉर्क में भी उन्हें भारी विरोध का सामना करना पड़ रहा है। न्यूयॉर्क के सिटी हॉल के बाहर कई धर्मगुरु और नेताओं समेत क़रीब 200 लोग उनका विरोध करने पहुंचे थे। उनके बयानों को नस्ल पर आधारित भेदभाव बताया गया।

राजनीति में नौसिखिया हैं ट्रंप
ट्रंप कुछ साल पहले ही राजनीति में आए हैं। वे मूल रूप से एक अरबपति व्यापारी हैं और राजनीति में नौसिखिया माने जाते हैंं। इस बार राष्ट्रपति पद की दावेदारी में उनके सामने 16 लोग थे। उन्होंने सबको मात देते हुए उम्मीदवारी पर कब्जा कर लिया। वे किसी भी सरकार में मंत्री पर नहीं रहे हैं। जब उन्हें सरकार के किसी विभाग को चलाने के तौर तरीके ही नहीं आते तो क्या वे देश को चला सकेंगे। सिर्फ उत्तेजना भड़काने वाले भाषणों से देश नहीं चलाया जा सकता। लेकिन अब यह सोचने का कोई लाभ नहीं है, चुनाव में अब कुछ ही समय बचा है।

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