अयोध्या पर फैसले के बाद भागवत की अपील- पुरानी बातों को भुलाकर मिलजुल कर मंदिर बनाएं

Saturday, Nov 09, 2019 - 03:38 PM (IST)

नेशनल डेस्क: अयोध्या मामले पर उच्चतम न्यायालय के फैसले का स्वागत करते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि दशकों तक चली लंबी न्यायिक प्रक्रिया के बाद यह विधिसम्मत और ‘अंतिम निर्णय' हुआ है। उन्होंने कहा कि अब अतीत की बातों को भुलाकर सभी को मिलकर भव्य राममंदिर का निर्माण करना है हालांकि भागवत ने काशी और मथुरा के सवाल पर सीधे जवाब नहीं देते हुए कहा कि आंदोलन करना संघ का काम नहीं है। उच्चतम न्यायालय ने शनिवार को अयोध्या में विवादित स्थल राम जन्मभूमि पर मंदिर के निर्माण का मार्ग प्रशस्त करते हुये केन्द्र सरकार को निर्देश दिया कि सुन्नी वक्फ बोर्ड को मस्जिद के निर्माण के लिये पांच एकड़ भूमि आवंटित की जाये।

भागवत ने अयोध्या मामले पर उच्चतम न्यायालय के फैसले के कुछ घंटे बाद ही पत्रकार वार्ता में कहा कि रामजन्मभूमि के संबंध में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा इस देश की जनभावना, आस्था और श्रद्धा को न्याय देने वाले निर्णय का संघ स्वागत करता है। दशकों तक चली लंबी न्यायिक प्रक्रिया के बाद यह विधिसम्मत अंतिम निर्णय हुआ है। उन्होंने देशवासियों से संयम बनाये रखने की अपील करते हुए कहा कि इस निर्णय को जय, पराजय की दृष्टि से नहीं देखना चाहिये। संघ प्रमुख ने कहा कि संपूर्ण देशवासियों से अनुरोध है कि विधि और संविधान की मर्यादा में रहकर संयमित और सात्विक रीति से अपने आनंद को अभिव्यक्त करें। उन्हें विश्वास है कि इस विवाद के समापन की दिशा में न्यायालय के निर्णय के अनुरूप परस्पर विवाद को समाप्त करने वाली पहल सरकार की ओर से शीघ्र होगी ।उन्होंने कहा कि अतीत की सभी बातों को भुलाकर हम सभी मिलकर रामजन्मभूमि पर भव्य राममंदिर के निर्माण में अपने कर्तव्य का पालन करेंगे ।

अयोध्या के बाद काशी और मथुरा में भावी योजना के बारे में पूछे गए सवाल पर उन्होंने कहा कि संघ आंदोलन नहीं करता, संघ का काम मनुष्य निर्माण है। कुछ ऐतिहासिक पृष्ठभूमि रही है, मेरे अखिल भारतीय पदाधिकारी बनने के पहले, उसके कारण संघ इस (रामजन्मभूमि) आंदोलन में एक संगठन के नाते जुड़ गया जो एक अपवाद है। आगे हम मनुष्य निर्माण के कारण में जुड़ जायेंगे । आंदोलन के विषय हमारे विषय नहीं रहते तो हम इस बारे में कुछ नहीं कह सकते। पांच एकड भूमि सुन्नी वक्फ बोर्ड को देने के न्यायालय के फैसले पर प्रतिक्रिया के सवाल पर संघ प्रमुख ने कहा कि यह न्यायालय का निर्णय है। इसे हम स्वीकार करते हैं। मैने विजयादशमी के भाषण में भी कहा था कि हम फैसला मानेंगे और हम मान रहे हैं। हमें विवाद समाप्त करना है। 


यह पूछने पर कि इस विवाद का हल आपसी सहमति से भी निकल सकता था, तो भागवत ने कहा कि इसकी पहल पहले हुई थी लेकिन सफल नहीं हुई और तभी यहां तक बात आई। उन्होंने कहा कि ठीक है देर आये, दुरूस्त आये। मुस्लिमों के लिये उनका क्या संदेश होगा, इस सवाल पर भागवत ने कहा कि भारत का नागरिक तो भारत का नागरिक है, उसमें हिंदू मुस्लिम के लिये अलग संदेश क्यों। हम सबको मिलकर रहना है, देश को आगे बढा़ना है। यह सदा सर्वदा के लिये हमारा संदेश है। 

vasudha

Advertising