अब भारत को धमकियां दे रहा चीन, बोला- अमेरिका के नक्‍शेकदम पर चलने की कोशिश न करे India

Thursday, Aug 04, 2022 - 02:43 PM (IST)

बीजिंग: अमेरिकी संसद की स्‍पीकर नैंसी पेलोसी की ताइवान यात्रा से बोखलाया चीन अब भारत को धमकियां देने पर उतर आया है। ताइवान में भारतीय सांसदों के प्रतिनिधिमंडल भेजने की सलाह पर ड्रैगन बौखला गया है और उसने भारत को चेतावनी दी है कि वह अमेरिका के नक्‍शेकदम पर न चलने की कोशिश भी न करे। चीन के नई दिल्‍ली स्थित चीनी दूतावास ने कांग्रेस नेता और सांसद मनीष तिवारी के भारतीय सांसदों का प्रतिनिधिमंडल ताइवान भेजने की सलाह पर बयान जारी करके कहा कि भारत 'एक चीन नीति' पर कायम रहे और ताइवान से दूरी बनाए।

 

चीन के दूतावास ने कहा कि एक चीन नीति अंतरराष्‍ट्रीय समुदाय के लिए साझा सहमति का सिद्धांत है। इसमें भारत भी आता है और यह चीन के दूसरे देशों के साथ संबंध विकसित करने का मूल आधार है। चीन ने यह बयान ऐसे समय पर जारी किया है जब अमेरिकी संसद की अध्‍यक्ष नैंसी पेलोसी ने ड्रैगन की धमकी को धता बताते हुए ताइवान का दौरा किया था। इससे चीन बुरी तरह से भड़क गया है और वह ताइवान स्‍ट्रेट में लाइव फायर ड्रिल कर रहा है। चीन के दूतावास के प्रवक्‍ता वांग शिओजिआन ने बुधवार को अपने बयान में कहा, 'भारत उन पहले देशों में शामिल है जिन्‍होंने यह मान्‍यता दी थी कि केवल एक चीन है।

 

चीनी पक्ष रिश्‍तों को एक चीन नीति के सिद्धांत के आधार पर बढ़ाने का इच्‍छुक है।' इससे पहले कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने बीजेपी सरकार को सलाह दी थी कि वह भी ताइवान में भारतीय सांसदों के दल को भेजने पर विचार करे। मनीष तिवारी ने कहा कि पेलोसी की तरह से लोकसभा के स्‍पीकर ओम बिड़ला को इस प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्‍व करना चाहिए। एक चीन नीति में केवल पीपुल्‍स रिपब्लिक ऑफ चाइना को मान्‍यता दी गई है जो साल 1949 में अस्तित्‍व में आया था।

 

इस दौरान वामपंथियों ने गृहयुद्ध में चीन में राष्‍ट्रवादियों को हरा दिया था। ये राष्‍ट्रवादी ताइवान भागकर चले गए थे। चीन ने कभी भी ताइवान को मान्‍यता नहीं दी। अन्‍य देशों की तरह से भारत उन देशों में शामिल है जो एक चीन नीति को साल 1949 से ही मान्‍यता देते हैं। भारत का ताइवान के साथ कोई राजनयिक संबंध नहीं है। नई दिल्‍ली में भारत-ताइपे असोसियेशन एक दूतावास की तरह से काम करता है जिसका प्रमुख एक एक राजनयिक होता है। चीन के लद्दाख में नापाक हरकत के बाद हर तरफ से यह मांग उठ रही है कि वह ताइवान के साथ रिश्‍ते को बढ़ाए। भारत सरकार ने अभी तक इस पर कोई कदम आगे नहीं बढ़ाया है।
 

Tanuja

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