लॉन्चिंग से पहले वैज्ञानिकों के टोटके- ISRO करता है पूजा तो रूसी पेशाब

Thursday, Jul 11, 2019 - 04:30 PM (IST)

नई दिल्लीः भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) 15 जुलाई को मिशन ‘चंद्रयान-2' को लॉन्च करने वाला है। इससे पहले इसरो के प्रमुख के सिवन ने उडुपी के श्रीकृष्ण मठ और मंदिरों में सपरिवार पूजा-अर्चना की। मठ के सूत्रों ने बताया कि उन्होंने बीते रविवार को इसरो के मिशन ‘चंद्रयान' की सफलता के लिए विशेष पूजा की। सिवन ने बाद में कोल्लूर में श्री मूकाम्बिका मंदिर का दौरा किया और प्रार्थना की। इसरो वैज्ञानिक हर लॉन्च से पहले तिरुपति बालाजी मंदिर में जाकर रॉकेट पूजा करते हैं। वहां रॉकेट का छोटा मॉडल चढ़ाते हैं, ताकि उन्हें उनके मिशन में सफलता मिले। भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी ही नहीं, अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा, रूसी वैज्ञानिक समेत दुनियाभर के वैज्ञानिक लॉन्चिंग से पहले अपने-अपने तरीके से टोटके करते हैं।

जानिए कौन से देश के वैज्ञानिक करते हैं क्या टोटके
भारतीय वैज्ञानिकों के टोटके

  • मंगलयान प्रोजेक्ट के समय जब भी मंगलयान को एक से दूसरी कक्षा में डाला जाता था, तब मिशन निदेशक एस अरुणनन मिशन कंट्रोल सेंटर से बाहर आ जाते थे। उन्होंने एक अंग्रेजी अखबार को दिए इंटरव्यू में कहा था कि वे ये प्रक्रिया देखना नहीं चाहते, आप इसे अंधविश्वास मानो या कुछ और पर इससे मिशन सफल हुआ था।
  • मंगलयान मिशन के समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसरो गए तो प्रोटोकॉल था कि जब तक पीएम इसरो में रहेंगे कोई व्यक्ति मिशन कंट्रोल सेंटर के अंदर-बाहर नहीं आ जा सकेगा। लेकिन अरुणनन को उनकी आदत की वजह से अंदर-बाहर आने-जाने की विशेष अनुमति मिली थी।
  • इसरो के एक पूर्व निदेशक हर रॉकेट लॉन्च के दिन एक नई शर्ट पहनते थे, अब भी ऐसा करने वाले कई वैज्ञानिक हैं।
  • इसरो के सभी मशीनों और यंत्रों पर विभुती और कुमकुम से त्रिपुंड बना होता है, जैसा कि भगवान शिव के माथे पर दिखता है।



रूसी वैज्ञानिकों के टोटके

  • रूसी अंतरिक्ष यात्री यान में सवार होने के पहले जो बस उन्हें लॉन्चपैड तक ले जाती है, उसके पिछले दाहिने पहिए पर पेशाब करते हैं। यह सिलसिला 12 अप्रैल 1961 को शुरू हुआ तब यूरी गैगरीन अंतरिक्ष में जाने वाले थे। यात्रा के दौरान वह काफी बेचैन थे कि तभी उनको तेज पेशाब आया। उन्होंने बीच रास्ते में बस रुकवा कर पिछले दाहिने पहिए पर पेशाब कर दिया। उनका मिशन सफल रहा। तब से रूसी वैज्ञानिक मिशन पर जाने से पहले बस के पहिए पर पेशाब करते हैं।
  • अंतिरक्ष में जाने से पहले रूस में अंतरिक्ष यात्रियों के लिए गाना बजाया जाता है। यह परंपरा भी यूरी गैगरीन ने ही शुरू की थी। दरअसल रॉकेट में बैठने के बाद उन्होंने मिशन कंट्रोल सेंटर से कोई संगीत बजाने को कहा। इस पर कंट्रोल सेंटर ने उनके लिए रोमांटिक गाने बजाए। तब से आज तक सभी अंतरिक्ष यात्रियों के लिए वही गाने बजते हैं जो गैगरीन के लिए बजे थे।
  • रूसी अंतरिक्ष यात्री रॉकेट को तब तक नहीं देखते, जब तक वे उसमें बैठ नहीं जाते, हालांकि उनकी ट्रेनिंग सिमुलेटेड रॉकेट में कराई जाती है।
  • यूरी गैगरीन यात्रा पर जाने से पहले अपने ऑफिस में रखे गेस्ट बुक में हस्ताक्षर करके अंतरिक्ष में गए थे, तब से इसे लकी चार्म माना जाता है और अब सभी अंतरिक्ष यात्री गैगरीन के गेस्ट बुक में सिग्नेचर करके निकलते हैं।
  • रूस हर सफल लॉन्चिंग के बाद एक पौधा लगाता है, बैकोनूर में इसे एवेन्यू ऑफ हीरोज कहते हैं।
  • रूसी अंतरिक्ष यात्रा पर जाने से पहले कॉस्मोनॉट कूलिंग पाइप पर किसी महिला का नाम लिखते है ताकि हादसा न हो। एक टाइम ऐसा हुआ था कि किसी ने महिला का नाम नहीं लिखा था तब हादसे में 47 लोगों की मौत हो गई थी।

 

  • 24 अक्तूबर 1960 और 1963 में बैकोनूर में लॉन्च से ठीक पहले दो बड़े हादसे हुए, जिसमें सैकड़ों लोगों की जैन चली गई थी। इसलिए तब से 24 अक्तूबर को कोई लॉन्चिंग नहीं होती।


अमेरिकी वैज्ञानिकों के टोटके

  • अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी NASA जब भी कोई मिशन लॉन्च करती है तब जेट प्रोप्लशन लेबोरेटरी में बैठे वैज्ञानिक मूंगफली खाते हैं।
  •  कहा जाता है कि 1960 के दशक में रेंजर मिशन 6 बार फेल हुआ जब सातवां मिशन सफल हुआ तो कहा गया कि लैब में कोई वैज्ञानिक मूंगफली खा रहा था इसलिए सफलता मिली, तभी से मूंगफली खाने की प्रथा चली आ रही है।
  • लॉन्च से पहले वैज्ञानिकों को नाश्ते में सिर्फ अंडे भुर्जी और मांस मिलता है, ये प्रथा पहले अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री एलन शेफर्ड और जॉन ग्लेन के समय से चली आ रही है।

Seema Sharma

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