बवाना अग्निकांड: उधार के पैसों से किया गया अंतिम संस्कार

Wednesday, Jan 24, 2018 - 12:00 PM (IST)

नई दिल्ली: बवाना अग्निकांड में मारे गए ज्यादातर लोगों के दाह-संस्कार उधार के पैसे लेकर किए गए थे। हादसे में हताहत लोगों के परिवारों की गरीबी और लाचारी का आलम यह था कि उनके घरों में दाह-संस्कार के लिए चंद पैसे भी पैसे नहीं निकले। गरीबी और मजबूरी की हालत यह रही कि हादसे में प्रभावित लोगों के परिजनों को शव के कफन-दफन के लिए अपने और रिश्तेदारों पैसे उधार लेने पड़े। सूत्रों की मानें तो जो परिवार हादसे में प्रभावित हुए हैं उनकी माली हालत बेहद खराब है। उनके परिवार रोज का लाना और रोज का खाना वाली नीति पर चलते हैं। ऐसे में दाह-संस्कार के लिए दो से चार हजार रुपए की बड़ी रकम किसी के भी घर में उस वक्त नहीं थी। रविवार को अस्पताल से जब शव घरों पर पहुंचे तो मृतकों के परिजनों के सामने यह एक बड़ी समस्या खड़ी हो गई कि अब दाह-संस्कार कैसे किया जाए। इसके बाद इलाके के लोग सामने आए। 

राजनीति चमकाने वालों का लगा रहा पूरे दिन तांता
बताया जाता है कि इलाके के लोगों ने जिससे जो बन पड़ा पीड़ित परिवारों की मदद की। हांलाकि, ऐसा नहीं है कि मौके पर कोई नहीं पहुंचा। अपनी राजनीति चमकाने वालों का पूरे दिन तांता लगा रहा था, लेकिन इन परिवारों से यह जानने की जहमत नहीं उठाई कि शवों का दाह-संस्कार कैसे किया जाएगा। मौके पर सभी पाॢटयों के नेता भी पहुंचे और दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य मंत्री सतेन्द्र जैन भी। लेकिन गरीब मजदूरों का दाह-संस्कार कैसे किया जाएगा और उसके लिए इन परिवारों की मदद करनी चाहिए या नहीं यह बात किसी ने भी न तो जानने की कोशिश ही की और न ही मदद के लिए हाथ आगे बढ़ाया? बहरहाल इलाके में ऐसे नेताओं के खिलाफ लोगों में गुस्सा है। मृतका बेबी के परिवार से संबंध रखने वाले संजय और अख्तर बताते हैं कि बेबी के चार छोटे-छोटे बच्चे हैं। घर का पूरा खर्च चलाने वाली बेबी ही थी। उनका पति गिरधारी मोची का काम करता है, जितना कमाता है उतने की शराब पी लेता है, ऐसे में उनके घर में दाह-संस्कार के लिए पैसे कहां से होते।

बिजली विभाग को नहीं आया रहम
बवाना हादसे में मारी गई मदीना के परिवार पर बिजली विभाग को भी रहम नहीं आ रहा है। बिजली विभाग ने अभी उनके घर की बिजली काट रखी है। हादसे में एक मौत हो जाने के बाद भी यह परिवार पूरी तरह से अंधेरे में रहने को मजबूर है। ज्ञात हो इस पूरे परिवार में ज्यादातर लोग मानसिक रोगी हैं। इलाके के लोगों का कहना है कि मदीना की मौत के बाद उनके घर पर दिल्ली सरकार के मंत्री सतेन्द्र जैन आए थे। इलाके के लोगों ने उनसे भी इस बात की शिकायत की थी कि किस तरह से बिजली विभाग ने इस परिवार की लाइट काट रखी है, जिसे जुड़वाया जाए। मंत्री जी ने भी उस वक्त मौके की नजाकत को समझा और तुरन्त ही बिजली जुड़वाने का झूठा वादा कर डाला। लेकिन वादे के दो दिन बाद भी इस परिवार के घर का बिजली कनेक्शन नहीं जोड़ा गया है। जिस कारण पूरा परिवार अंधेरे में ही बैठा हुआ है। इलाके के लोगों का यह भी आरोप है कि बिजली विभाग ने मदीना के परिवार का बिजली कनेक्शन गलत तरीके से काट रखा है। उनके घर पर गलत तरीके से करीब 70 हजार रुपए का फर्जी बिल भेज रखा है, जिसकी जांच की जाए तो सारा फर्जीवाड़ा सामने आ जाएगा।

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