अपने लिए मौत मांग रहे थे बापू

Tuesday, Oct 01, 2019 - 12:00 PM (IST)

नई दिल्ली(अनिल सागर): 9 सितंबर 1947 को जब गांधीजी कोलकाता से नए स्वाधीन भारत की राजधानी दिल्ली पहुंचे तब वह दंगों की आग में झुलस रही थी। शाहदरा स्टेशन पर गांधी जी को लेने सरदार वल्लभभाई पटेल, डॉ. राजकुमारी अमृत कौर पहुंचे। बंटवारे की पीड़ा चारों ओर थी और बापू का घर बाल्मीकि बस्ती, अब पाकिस्तान से आए शरणार्थियों के लिए सुरक्षित स्थान बन गया था। गांधी जी को बताया कि उनकी जान को खतरा है तो बापू हसकर बोले ‘क्या तुम लोग समझते हो यदि मेरा समय आ गया तो भी मुझे बचा सकोगे मुझे बचा सकोगे?’ एक समय तो बापू ने अपने लिए मौत मांग कर अपने आसपास के लोगों को ही हतप्रभ कर दिया। आखिर क्यों बापू ने भगवान से मौत की मांग कर दी? महात्मा गांधी हिंदू-मुसलमान की आपसी लड़ाई से बहुत दुखी थे। उन्होंने अपने अंतिम प्रवचन में भी इस पीड़ा को बयां किया।

 

आखिरी 48 घंटों में पीड़ा जनता के बीच जताई: 28 जनवरी को बापू ने प्रवचन में कहा भगवान की कृपा से राजधानी दिल्ली में तीनों जातियों में फिर से शांति कायम हो गई है पूरे हिंदुस्तान के हालात भी सुधारेंगे। उन्होंने प्रार्थना के बाद कई लोगों से मुलाकात की। आखिर 29 जनवरी सुबह 3:30 बजे उठकर सुबह-सुबह कुछ पत्र मंगवाए पढ़े और एक पत्र किशोर लाल को को लिखा। दिन भर मिलना-जुलना चलता रहा। अंतिम प्रवचन में महात्मा गांधी ने कहा अभी बन्नू के कुछ भाई-बहन मेरे पास आए थे परेशान थे। चोटिल थे उनका गुस्से से भरा होना स्वाभाविक था। एक आश्रमवासी से उन्होंने कहा ‘मुझे गड़बड़ी के बीच शांति, अंधेरे में प्रकाश और निराशा में आशा देखनी होगी’।

 

30 जनवरी 1948 शुक्रवार का दिन सुबह नित्यक्रम के बाद बापू ने गुजराती भजन गाया और उसके बाद मेल मुलाकात का दौर शुरू हो गया। चार सीढिय़ां चढ़कर चबूतरे पर पहुंचे, रोज की तरह दर्शक बड़े अदब से कतार बांधे रास्ता बनाए खड़े थे। यकायक भीड़ में से कोई बायीं ओर से आगे बढ़ा हालांकि उसको ऐसा करने के लिए किसी ने रोका और गांधी जी के सामने आकर खड़ा हो गया। और सात कारतूस वाली ऑटोमेटिक पिस्तौल से एक के बाद एक तीन गोलियां चला दी। खून से लथपथ गांधीजी आभा की गोद में गिर पड़े। यह सब इतनी जल्दी हो रहा था कि जो लोग वहां मौजूद थे उन्हें समझ नहीं आया कि क्या करें। जोर से एक ही आवाज गूंजी, हे राम...। बापू गिर चुके थे।

 

हत्यारे को पकड़ लिया गया, चारों ओर हाहाकार मच गई। 5 मिनट बाद गांधीजी को उठाकर कमरे में ले गए, गद्दे पर लिटाया गया। डॉक्टर को बुलाने के लिए बहुत फोन किया लेकिन फोन नहीं मिला। डॉक्टर को लेने विलिंगडन अस्पताल भेजा, बड़ी मुश्किल से डॉक्टर पहुंचे और उन्होंने निराशा से सिर हिला दिया...। बापू जी के साथ साए की तरह लंबा समय बिताने वाले गांधी जी की दिल्ली डायरी के लेखक ब्रज किशन चांदीवाला ने अपनी इस किताब में इस बात का उल्लेख किया है कि पूरे हालात से व्यथित बापू ने खुद उनके सामने अपनी मौत से पहले भगवान से मौत मांगी?

Seema Sharma

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