ऑफ द रिकॉर्डः एक माह में फाइल पर बाबुओं को लेना होगा फैसला

Wednesday, Aug 12, 2020 - 04:04 AM (IST)

नेशनल डेस्कः सी. वी.सी. (केंद्रीय सतर्कता आयोग) ने बाबुओं पर फिर से शिकंजा कस दिया है। इससे पहले प्रधानमंत्री ने कहा था कि भ्रष्टाचार को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। सी.वी.सी. ने भ्रष्ट बाबुओं पर सख्ती करते हुए एक माह के लिए फाइल पर पुनर्विचार की समय सीमा कम कर दी है। विभागीय व सरकारी भ्रष्टाचार में शामिल भ्रष्ट बाबुओं के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश करने वाली फाइलों को रोक दिया जाता था। 

इससे पहले, सी.वी.सी. ने फाइलों के निपटान की समय सीमा 2 महीने तय की थी लेकिन एक संशोधित आदेश में इसे एक और महीने कम करने का फैसला किया। विभाग और मंत्रालय महीनों तक फाइलों को लेकर कार्रवाई पर पुनर्विचार करते थे। इससे जांच में देरी होती थी। इस तरह के मामलों में संबंधित विभाग को बताना होता था कि उसके द्वारा अनुशंसित सजा की मात्रा पर उदार या कठोर दृष्टिकोण होना चाहिए। पुराने दिशा-निर्देशों का हवाला देते हुए आयोग ने कहा कि सरकारी विभागों को सलाह के लिए सी.वी.सी. से संपर्क करने की आवश्यकता होती है, जिसमें वे अपना दृष्टिकोण जाहिर करते हैं। 

वहीं कई मामलों में सी.वी.सी. ने देखा कि इस तरह के प्रस्ताव 2 माह की निर्धारित समयावधि में भी प्राप्त नहीं हुए थे, इस कारण विजीलैंस के मामलों के निपटारे में देरी हुई। सी.वी.सी. भ्रष्टाचार के मामलों में सरकारी विभागों के साथ 2 चरणों में जांच करती है। पहले जांच दौरान विभाग से सलाह की जाती है और दूसरा भ्रष्ट कर्मचारी पर कार्रवाई के बारे में अंतिम निर्णय लेने से पहले चर्चा की जाती है। इसके अलावा, यह भी निर्धारित किया गया कि इस तरह के पुनॢवचार प्रस्ताव आयोग की सलाह प्राप्त होने की तारीख से 2 महीने के भीतर भेजे जाने चाहिएं।

सतर्कता मामलों के त्वरित निपटारे की आवश्यकता और इसकी अंतिम समय सीमा निर्धारित करते हुए, पहले चरण में जांच रिपोर्ट पर सलाह एक माह में ही देनी होगी। वहीं दूसरे चरण में किसी विषय पर अंतिम निर्णय के लिए समय सीमा में विस्तार की आवश्यकता होगी तो आयोग समय सीमा के निर्धारण पर विचार करेगा। 

Pardeep

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