क्रांतिकारी किसान की शहादत पर जम्मू में शुरू हुआ सबसे बड़ा मेला

Saturday, Nov 04, 2017 - 02:28 PM (IST)

जम्मू: जम्मू शहर से कररीब 15 किलोमीटर दूर झिड़ी गांव में बाबा जित्तो की याद में वार्षिक मेला आज से शुरू हो गया। क्रांतिकारी किसान बाबा जित्तो ने जमींदारी के खिलाफ अपनी लड़ाई में प्राण त्याग दिए। यह मेला डोगरा लोकइतिहास से जुड़ा हुआ है। मेले में जम्मू कश्मीर से ह नहीं बल्कि हिमाचल, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश से हजारों की संख्या में लोग भाग लेते हैं और बाबा की समाधि पर मात्था टेकते हैं।


बाबा जित्तो और उनकी बेटी बुआ कोड़ी की याद में लगने वाला यह वार्षिक मेला उत्तर भारत के सबसे बड़े मेलों में गिना जाता है। मेला पूरा सप्ताह भर चलता है। लोगों की भारी हाजिरी को देखते हुए प्रशासन ने झिड़ी में सुरक्षा और सुविधाओं के व्यापक प्रबंध किए हैं। मेले में किसानी से जुड़ी चीजों के स्टालों के साथ-साथ विभिन्न तरह के स्टाल लगाए जाते हैं। जिला प्रशासन और पुलिस ने झिड़ी में पार्किंग से लेकर श्रद्धालुओं के लंगर, पानी, साफ-सफाई, सरांय आदि की व्यवस्था का पूरा इंतजाम किया है।


कौन थे बाबा जित्तो
बाबा जित्त मल के बारे में जो कथ प्रचलित है वो यह है कि बाबा जित्तो माता वैष्णो देवी के परम भक्त थे। वह कटरा के अगार से करीब दो सौ वर्ष पूर्व शामा चक्क गांव में अपनी बेटी बुआ कोड़ी के साथ आकर बस गए। उनके पास जमीन नहीं थी। उन्होंने महता बीर सिंह, जोकि जमीनदार था, से निवेदन किया कि उन्हें खेती के लिए थोड़ी सी जमीन दी जाए। महता बीर सिंह राजी हो गया पर बदले में उसने फसल का एक चौथाई हिस्सा मांगा। बाद में जब फसल अच्छी हुई तो उसने लालचवश ज्यादा फसल मांगी। बाबा जित्तो ने फसल के ढेर पर खुदकुशी कर ली और सारी फसल उनके खून से सन्न गई। उनकी बेटी बुआ कोड़ी ने भी पिता की चिता के साथ प्राण त्याग दिए। तभी से उनकी याद में यह मेला मनाया जाता है।

 

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