अयोध्या विवाद : क्या ओवैसी का चैलेंज स्वीकार करेंगे प्रधानमंत्री मोदी?

Monday, Oct 29, 2018 - 06:35 PM (IST)

नेशनल डेस्क (मनीष शर्मा): अयोध्या केस पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई जनवरी 2019 तक के लिए टल गई है। आपको बता दें कि, राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि को तीन भागों में बांटने वाले 2010 के इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सोमवार को फैसला आना था। वहीँ राम के नाम पर वोट मांगने वाली बीजेपी और प्रधानमंत्री मोदी को AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने चैलेंज किया है-

"वे राम मंदिर पर अध्यादेश क्यों नहीं लाते हैं ? उन्हें ऐसा करने दो। हर बार वे धमकी देते रहते हैं कि वे अध्यादेश लाएंगे। भाजपा, आरएसएस और विश्व हिन्दू परिषद का हर ऐरा-गैरा नेता यह कहता रहता है। आप सत्ता में हैं। मैं आपको ऐसा करने के लिए चुनौती देता हूं। चलो देखते हैं।"

दरअसल राम मंदिर पर अध्यादेश की चुनौती प्रधानमंत्री मोदी को कांग्रेस और AIMIM जैसी विपक्षी पार्टियां ही नहीं दे रही बलिक सहयोगी पार्टी शिवसेना, साधू-संत के साथ-साथ बीजेपी के पैतृक संगठन आरएसएस भी दे चुकी है। विजयदशमी समारोह के दौरान राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नेता मोहन भागवत ने बीजेपी सरकार को संबोधित करते हुए कहा था-

" सरकार कानून बनाकर अयोध्या में श्रीराम मंदिर का निर्माण करे। कुछ लोग राजनीति की वजह से जानबूझकर मंदिर मामले को आगे खींचते जा रहे हैं। यह हिंदू-मुसलमान का मसला नहीं है, यह भारत का प्रतीक है और जिस भी रास्ते से मंदिर निर्माण संभव है, होना चाहिए।"

इस चुनावी मौसम में राम मंदिर को लेकर सियासी बुखार चढ़ना लाजमी है। विपक्ष के साथ-साथ बीजेपी के अपने लोगों का मानना है कि जब एससी एसटी एक्ट के समय  मोदी सरकार सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ संसद में कानून पास करा सकती है तो राम मंदिर को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर आश्रित क्यों है ?

क्या हैं मोदी सरकार के पास विकल्प ?

  • पहला : शीत सत्र में राम मंदिर के निर्माण के लिए बिल लाए ताकि राम मंदिर पर कानून बन सके।
  • दूसरा : मोदी सरकार संसद में संयुक्त सत्र बुलाकर राम मंदिर बिल को साधारण बहुमत से पास करवा सकती है।
  • तीसरा : अगर सरकार चाहे तो राम मंदिर के लिए विशेष सत्र भी बुला सकती है।
  • चौथा: सबसे सरल उपाय, शीत सत्र के बाद सरकार राम मंदिर पर अध्यादेश ला सकती है।

1528 में मुग़ल हमलावर बाबर के जनरल मीर बाकी ने अयोध्या में राम मंदिर को तोड़कर बाबर की शान में बाबरी मस्जिद का निर्माण करवाया। तब से अब तक तकरीबन 500 साल होने को आए हैं। मुगलों, अंग्रेज़ों के बाद भारत में सेक्युलर शासन की स्थापना हुई। हिन्दुओं के पूजनीय श्री राम का अस्तित्व धर्मनिरपेक्षता के आगे छोटा पड़ गया है। 150 साल से राम वादी के रूप में अदालतों के चक्कर काट रहे हैं , उन्हें भी मिल रही है तारीख पे तारीख। 

shukdev

Advertising