न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति की आयु और उनका वेतन बढ़ाने के पक्ष में अटॉर्नी जनरल

Tuesday, Oct 02, 2018 - 12:53 AM (IST)

नई दिल्लीः अटॉर्नी जनरल के. के. वेणुगोपाल ने उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की सेवा निवृत्ति की आयु क्रमश: 65 और 62 वर्ष से बढ़ाने का सोमवार को समर्थन किया। उन्होंने यह भी कहा कि एक औसत वकील की आय के मुकाबले न्यायाधीशों का वेतन बहुत कम है और उसे दो-तीन गुना बढ़ाया जाना चाहिए।

निवर्तमान प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा के विदाई समारोह में वेणुगोपाल ने कहा कि जहां तक बात न्यायाधीशों की है, फिर चाहे वह सेवानिवृत्त की क्यों ना हों, उन्हें ‘‘निष्क्रिय’’ नहीं बनने देना चाहिए। अच्छे न्यायाधीश पाना आसान नहीं है। उन्होंने कहा, आशा करते हैं कि भविष्य में भी प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा लंबे समय तक हमारे साथ बने रहेंगे। मुझे याद है कि कुछ समय पहले भी किसी अन्य न्यायाधीश की सेवानिवृत्ति पर मैंने यही कहा था। मुझे नहीं पता कि ऐसा हुआ है या नहीं।

वेणुगोपाल इस विचार से इत्तेफाक नहीं रखते हैं कि सेवानिवृत्ति के बाद न्यायाधीशों को अधिकरण/पंचाट में काम नहीं करना चाहिए। उनका कहना है, आप प्रतिभा को यूं ही बेकार नहीं कर सकते हैं। पिछले कुछ महीनों में ‘‘रिकॉर्ड’’ फैसला देने के लिए न्यायमूॢत मिश्रा की तारीफ करते हुए वेणुगोपाल ने कहा, बार-बार उन्हें लैंगिक न्याय से जूझना पड़ा, बार-बार उन्होंने महिलाओं के हक में फैसले दिये और इसलिए जहां तक उनकी बात है अखबारों ने उन्हें ‘जेंडर वॉरियर’ (लैंगिक समानता के लिए लडऩे वाला योद्धा) करार दे दिया है।’’

वेणुगोपाल का कहना है, हमें यह याद रखना चाहिए कि भारत में वर्तमान औसत जीवन प्रत्याशा करीब 73 वर्ष है। क्या आप न्यायाधीशों को उच्च न्यायालय से 62 वर्ष की आयु में और उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों को 65 वर्ष की आयु में सेवानिवृत्त होने की अनुमति देंगे और फिर उन्हें विदा कर देंगे। आप शीर्ष अदालत और अन्य अदालतों के गलियारों में 62 और 65 वर्ष आयु से कहीं ज्यादा उम्र के वकीलों को यूं ही घूमते हुए देख सकते हैं।

Yaspal

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